प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Sunday, April 17, 2011
सब भूलने की मशीन का नाम जनता है
ज्यादा समय नहीं बीता है उस बात को, जब दुनिया की बागडोर दो हाथों में बताई जाती थी।अमेरिका और रूस का एक सा रुतबा था। एक सा ही नहीं, बल्कि एक दूसरे के प्रति बेहद आक्रामक।ज़बरदस्त रस्साकशी थी। दुनिया का हर विचार तराजू के इन दोनों पलड़ों में तुल कर ही फिजां में फैलता था।रूसी राष्ट्रपति एक बार भारत यात्रा पर आये थे। तब दिल्ली में मुझे भी उन्हें नजदीक से देखने का मौका मिला था। संसद मार्ग से वे और उनका काफिला गुजरने वाला था। काफी देर पहले ही सुरक्षा की द्रष्टि से उस रास्ते को आम पब्लिक के लिए बंद कर दिया गया था।यद्यपि भारतीय पब्लिक को नेताओं की वज़ह से तमाम मुसीबतें सहने की आदत होती है, फिर भी क्योंकि एक तो वह संसद मार्ग का रास्ता था , दूसरे वह कार्यालयों के खुलने का भी समय था। इसलिए तमाम छोटे-बड़े लोग दफ्तर पहुँचने की हड़बड़ी में भी थे।मानव संसाधन विकास के विद्यार्थियों के लिए यह एक अच्छी केस-स्टडी हो सकती है कि विदेशी वीआइपी मेहमान के आने के कारण एक विभाग ने तो दफ्तरों में समय पर पहुँचने का फरमान जारी किया था, दूसरे विभाग ने सुरक्षा का कारण बता कर रास्ते रोक दिए थे। इसीलिए वहां पुलिस वालों की घेराबंदी के करीब कुछ जिम्मेदार अफसर उन्हें उस रास्ते से गुजरने देने की गुज़ारिश कर रहे थे, जो धीरे-धीरे तकरार में बदलती जा रही थी। भीड़ काफी हो गयी। कुछ ज़रूरी काम से जाने वाले लोग सभी नेताओं को कोसने की मुद्रा में भी आ गए थे। इतने में अचानक राष्ट्रपति का काफिला उधर से गुज़रा। हंसमुख, गोरे-चिट्टे गोर्बाचौफ गर्मजोशी से जनता को देख कर हाथ हिला रहे थे। जनता भी तत्काल अपनी तकरार भूल कर उनका अभिवादन हाथ हिला-हिला कर करने लगी। जनता भूल गयी कि थोड़ी देर पहले सब उन्ही को कोस रहे थे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम मेज़ लगाना सीख गए!
ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...
Lokpriy ...
-
जिस तरह कुछ समय बाद अपने रहने की जगह की साफ़ सफाई की जाती है, वैसे ही अब यह भी ज़रूरी हो गया है कि हम अपने समय के शब्दकोषों की सफाई करें. ब...
-
जयपुर के ज्योति विद्यापीठ महिला विश्व विद्यालय की प्रथम वाइस-चांसलर,देश की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक-शिक्षाविद प्रोफ़ेसर रेखा गोविल को "शिक्...
-
1. Abdul Bismillah 2. Abhimanyu Anat 3. Ajit Kumar 4. Alok Puranik 5. Amrit lal Vegad 6. Anjana Sandheer 7. Anurag Sharma"Smart ...
-
निसंदेह यदि कुत्ता सुस्त होगा तो लोमड़ी क्या,बिल्ली भी उस पर झपट्टा मार देगी। आलसी कुत्ते से चिड़िया भी नहीं डरती, लोमड़ी की तो बात ही क्या...
-
जब कोई किसी भी बात में सफल होता है तो उसकी कहानी उसकी "सक्सेज़ स्टोरी" के रूप में प्रचलित हो जाती है। लेकिन यदि कोई अपने मकसद...
-
"राही रैंकिंग -2015" हिंदी के 100 वर्तमान बड़े रचनाकार रैंक / नाम 1. मैत्रेयी पुष्पा 2. नरेंद्र कोहली 3. कृष्णा सोबती 4....
-
इस कशमकश से लगभग हर युवा कभी न कभी गुज़रता है कि वह अपने कैरियर के लिए निजी क्षेत्र को चुने, या सार्वजनिक। मतलब नौकरी प्राइवेट हो या सरकारी।...
-
कुछ लोग समझते हैं कि केवल सुन्दर,मनमोहक व सकारात्मक ही लिखा जाना चाहिए। नहीं-नहीं,साहित्य को इतना सजावटी बनाने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं ह...
No comments:
Post a Comment