Friday, April 1, 2011

वर्ल्डकप माने विश्व-प्याला

आज न जाने क्यों ' बच्चन ' की , याद आ रही मधुशाला । झूम रहा है देश नशे में , पहने यादों की माला। नगर-नगर ने , गाँव-गाँव ने , मुंबई का रस्ता पकड़ा । किस के हाथ लगेगा , देखें , अबकी बार विश्व-प्याला । बल्ले की चाबी को लेकर , उतर रहे हैं मतवाले। घुमा-घुमा कर कैसे खोलें , आज रनों का ये ताला । बालीवुड का तारक-दल भी , काम छोड़ कर आ बैठा । कितने आउट पूछ रहा है, जीजा हो चाहे साला । दफ्तर-दफ्तर धूम मची है , बाज़ारों में चढ़ा खुमार । दौड़-दौड़ कर रन लेने हैं, चाहे पड़ जाये छाला ।

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