प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Tuesday, April 12, 2011
सब डिज़ाइन मौजूद हैं
हमारे आज के समाज के माडल को समझने के लिए हमें बच्चों की तरह एक आसान सा प्रारूप लेना अच्छा रहेगा।हम कुछ जानवरों को लेलें। फिर उनसे कहें कि वे हम इंसानों में से चुन-चुन कर अपनी-अपनी एक एक टीम बना लें।हमारे लिए भी अपनी पसंद की टीम में जाना आसान रहेगा क्योंकि पंचतंत्र या ऐसी ही अन्य कहानियों के माध्यम से हम जानवरों की फितरत को भी काफी हद तक जान गए हैं।यदि हम ईमानदारी से अपनी नीयत का आकलन करें तो हम पाएंगे कि हम में से प्रत्येक को न केवल अपनी पसंद का, बल्कि अपने जैसे स्वभाव का कैप्टन मिल रहा है। हम में भी ऐसे कई हैं जो दूसरे का शिकार किया हुआ मांस नहीं खाते। हम में भी ऐसे हैं जो दूसरों का पकाया या कमाया हुआ ही खाते हैं। हम में भी ऐसे हैं जो ज़रूरत पड़ने पर रंग बदल लेते हैं। हम में भी ऐसे हैं जो आंख में पानी बीत जाने के बाद भी दिखावे के लिए रो सकते हैं। हम में ऐसे भी हैं, जो अपने ही मित्र या भाई को मुसीबत में पड़ा देख कर किसी झाड़ी की ओट स द्रश्य का आनंद लेते हैं।हम में ऐसों की कमी भी नहीं है जो अपने स ताकतवर के सामने दुम हिलाएं और अपने स कमज़ोर को मार कर खा जाएँ। कहने का तात्पर्य यह है कीदुनिया में मौजूद प्राणियों की फितरत ही हम में स कई लोगों की फितरत में आ जाती है और हम मानवीयता खो बैठते हैं। कोई इसका कारण यह मानता है कि हम उनका मांस - खून भी तो खा जाते हैं। कोई कहता है कि हम उन्हें मार कर उनकी खाल ओढ़ लेते हैं। कोई कहता है की हम रात-दिन उनके कारनामे देखते रहते हैं इसी लिए उन जैसे हो जाते हैं ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम मेज़ लगाना सीख गए!
ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...
Lokpriy ...
-
जिस तरह कुछ समय बाद अपने रहने की जगह की साफ़ सफाई की जाती है, वैसे ही अब यह भी ज़रूरी हो गया है कि हम अपने समय के शब्दकोषों की सफाई करें. ब...
-
जयपुर के ज्योति विद्यापीठ महिला विश्व विद्यालय की प्रथम वाइस-चांसलर,देश की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक-शिक्षाविद प्रोफ़ेसर रेखा गोविल को "शिक्...
-
1. Abdul Bismillah 2. Abhimanyu Anat 3. Ajit Kumar 4. Alok Puranik 5. Amrit lal Vegad 6. Anjana Sandheer 7. Anurag Sharma"Smart ...
-
निसंदेह यदि कुत्ता सुस्त होगा तो लोमड़ी क्या,बिल्ली भी उस पर झपट्टा मार देगी। आलसी कुत्ते से चिड़िया भी नहीं डरती, लोमड़ी की तो बात ही क्या...
-
जब कोई किसी भी बात में सफल होता है तो उसकी कहानी उसकी "सक्सेज़ स्टोरी" के रूप में प्रचलित हो जाती है। लेकिन यदि कोई अपने मकसद...
-
"राही रैंकिंग -2015" हिंदी के 100 वर्तमान बड़े रचनाकार रैंक / नाम 1. मैत्रेयी पुष्पा 2. नरेंद्र कोहली 3. कृष्णा सोबती 4....
-
इस कशमकश से लगभग हर युवा कभी न कभी गुज़रता है कि वह अपने कैरियर के लिए निजी क्षेत्र को चुने, या सार्वजनिक। मतलब नौकरी प्राइवेट हो या सरकारी।...
-
कुछ लोग समझते हैं कि केवल सुन्दर,मनमोहक व सकारात्मक ही लिखा जाना चाहिए। नहीं-नहीं,साहित्य को इतना सजावटी बनाने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं ह...
No comments:
Post a Comment