प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Saturday, April 30, 2011
शिक्षा
Friday, April 29, 2011
नज़र उडती पतंगों को लगती है, कटी पतंगों को नहीं.
Thursday, April 28, 2011
अमेरिका की रईसी दिल से है
Sunday, April 24, 2011
पीढ़ियों का अंतर इस तरह प्राकृतिक क्रिया ही है
Saturday, April 23, 2011
भाषिक प्रशासन भी कारगर है
Wednesday, April 20, 2011
ऐसे मुहावरे तो देश के बच्चे भी समझते हैं.
Monday, April 18, 2011
पर रहो मिल-जुल कर
Sunday, April 17, 2011
सब भूलने की मशीन का नाम जनता है
Saturday, April 16, 2011
पानी
Thursday, April 14, 2011
एसी ,व्हील और कैलकुलेटर पर हमेशा कब रहे हम?
यन्त्र और भावनाओं में काम का बटवारा कैसे हो? अब यह भी जीवन-शास्त्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आप अपने किसी मित्र के जन्मदिन की पार्टी में जा रहे हैं , जो सातवीं मंजिल पर रहता है। आप बहुत प्रमुदित हैं, और आपके हाथों में ताज़ा फूलों का प्यारा सा गुलदस्ता है। अब बिल्डिंग के ठीक नीचे पहुँच कर आपने जाना कि लिफ्ट ख़राब है। लीजिये, अब सात मंजिल चढ़ाई की शुरुआत भी करनी है और अपने मन का उल्लास और तरोताजगी भी बनाये रखनी है।ख़राब मूड से जाकर मित्र से भी नहीं मिलना है, क्योंकि लिफ्ट की खराबी में उसका हाथ नहीं है। अब एक बड़ी ज़िम्मेदारी आप पर है। इसी तरह कल्पना कीजिये कि आपके ज़ेहन में कोई सार्थक सी कविता जन्म लेने को व्याकुल है और आप का कंप्यूटर चल नहीं रहा है। या फिर आपको अपने मनपसंद कार्यक्रम में पहुंचना है, और आपकी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही। ऐसी बहुत सी बातें रसोई से लेकर सड़क तक आपके पास आती ही रहती है। यहाँ हमें इस कसौटी से निपटना पड़ता है कि अपने संवेगों और मशीनी सुविधाओं को लेकर हमारा संतुलन, धैर्य और द्रष्टिकोण कैसा है। निश्चित ही इन बातों का कोई सुनिश्चित जवाब नहीं है। आपको ' केस टू केस ' इनसे निपटना पड़ेगा। फिर भी सकारात्मकता की सरहद पर खड़े होने पर कुछ बातें ज़रूर हमारी मदद करेंगी। यहाँ एक मौलिक और आधारभूत विचार भी हमारी मदद करेगा। हम केवल यह सोचें कि यांत्रिक-आविष्कारों से पहले भी हम इन कामों को करते ही थे। हम शौकिया पहाड़ों तक पर चढ़ते थे।हम मीलों पैदल भी चला करते थे। हम माइक्रोवेव आने से पहले भी सीधी आंच पर लज़ीज़ व्यंजन बनाया करते थे। हमने बरसों तक पानी के छिडकाव से ही अपनी शामे ठंडी की हैं।हमारी बेहतरीन पुस्तकें कलम से लिखी गयी हैं।
Tuesday, April 12, 2011
निवेश का शानदार अवसर
सब डिज़ाइन मौजूद हैं
जानवरों से सीख लेने का समय
हमारा वर्तमान समय नैतिक मूल्यों की छीछालेदर होने का समय है।छीछालेदर शब्द कोई सम्मानजनक शब्द नहीं है, किन्तु यह इसीलिए प्रयोग किया गया है, कि यह समय ही नैतिक मूल्यों के अपमान का समय है। हम सब राह चलते कहीं भी , कभी भी , किसी से भी और किसी तरह भी अपमानित हो सकते हैं।न कोई तर्क है, और न ही कोई स्पष्टीकरण। हम सब के भीतर बैठा जानवर सर्वथा बेलगाम है।
Monday, April 11, 2011
अमेरिका से तुलना???
आइये सोचें
Friday, April 8, 2011
शिक्षा अमेरिका में जंगली नहीं बनी
अमेरिका गाँव शहर को लेकर दो-फाड़ नहीं है
अमेरिका में शायद ऐसा नहीं होता हो
सब सम्पन्नता से नहीं जुड़ा
विकास के सारे पैमाने भौतिक या वस्तुनिष्ठ नहीं हो सकते। समाज या देश के रूप में जब जिंदगी का आकलन होता है तब भावनात्मकता को भी नज़र-अंदाज़ नहीं किया जा सकता। नैतिकता की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। अतीत, परिस्थिति या अनुभव से भी कन्नी नहीं काटी जा सकती। भविष्य की इच्छाओं की जिजीविषा पर भी नज़र रखनी होती है। किसी अत्यंत गरीब व्यक्ति की कुटी में कोई संपन्न व्यक्ति किसी काम से जाये, वह अत्यंत गदगद होकर उसके सामने बिछ सा जाता है। घर की बेहतरीन कुर्सी झाड़-पौंछ कर उसे बैठने के लिए दी जाती है , चाहे उस पर उस समय घर का कोई अन्य सदस्य बैठा ही क्यों न हो। जो भी घर में उपलब्ध हो, खाने-पीने के लिए सामने लाने की पेशकश की ही जाती है। बल्कि उसके लिए पास-पड़ोस से मांगने में भी गुरेज़ नहीं किया जाता। अब इसके उलट कल्पना कीजिये। यदि किसी काम से वह निर्धन व्यक्ति बहुत संपन्न व्यक्ति के आवास पर जाता है पहली सम्भावना तो यही है कि यदि काम संपन्न व्यक्ति का नहीं है तो उसे बिना मिले ही लौटा दिया जाये। या काफी इंतजार करवाया जाये। बिना समय लिए आ धमकने के लिए प्रताड़ित किया जाये। खाना तो दूर,पानी के लिए भी न पूछा जाये। बैठने के स्थान को पहले देख लिया जाये कि कहीं वह उसके बैठने से गन्दा तो नहीं हो जायेगा। दोबारा आने का निमंत्रण देना अलग, उसके निकलते ही दरवाज़ा इस तरह बंद कर लिया जाये कि आवाज़ दूर तक सुनाई दे। अब नापने का कोई यन्त्र लेकर बैठिये और विकास के परिप्रेक्ष्य में आतिथ्य-शास्त्र, व्यवहार विज्ञानं, नीति शास्त्र आदि तमाम बातों को मापिये।
अमेरिका की सदाशयता किसी को क्यों चुभे?
क्या तुम्हारी कहानी मुझे अब भी हीरो बना सकती है ,उसने पूछा
व्यक्ति-पूजा अमेरिका में आदत नहीं बनी
Thursday, April 7, 2011
पहले लंका जीती अब शंका
गाँधी से हजारे तक कुतर्क शास्त्र ने भी उन्नति की है
Wednesday, April 6, 2011
अमेरिका का हक़ वसुधैव- कुटुम्बकम पर ज्यादा है
किंग इज किंग
ज्ञान और विवेक सम्बंधित हैं
Monday, April 4, 2011
महात्माओं की फसल
Sunday, April 3, 2011
बेचारे उसी युग के जीव
खोज सको तो खोजो
Saturday, April 2, 2011
पहले अपने गिरेबान में झांक कर ही अमेरिका को देखें
Friday, April 1, 2011
विश्व- प्याला
धोनी - गौतम और विराट ने , तैयारी का जाल बुना । खान, मुनाफ , हरभजन ने भी मछली को कांटा डाला । फेंकेंगे युवराज , सुदर्शन चक्र शत्रु की सेना पर । कितने घायल, बतलायेंगी दुनिया को टीवी-बाला । पीसेंगे सहवाग- सचिन जो, देश वही अब खायेगा । चूल्हे- चौके बंद , खुलेगी छक्कों की बस मधुशाला । खेल - खेल में आकर बैठे , दूर देश से राजाध्यक्ष । रण में कत्ले-आम मचेगा , बिना तीर और बिन भाला । बरसों पहले झेल चुके हैं , जंग अयोध्या और लंका । देखें अबकी बार पड़ेगी , किस के गले विजय माला ।
वर्ल्डकप माने विश्व-प्याला
संख्या गर्व करने की चीज़ नहीं
हम मेज़ लगाना सीख गए!
ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...
Lokpriy ...
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जिस तरह कुछ समय बाद अपने रहने की जगह की साफ़ सफाई की जाती है, वैसे ही अब यह भी ज़रूरी हो गया है कि हम अपने समय के शब्दकोषों की सफाई करें. ब...
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जयपुर के ज्योति विद्यापीठ महिला विश्व विद्यालय की प्रथम वाइस-चांसलर,देश की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक-शिक्षाविद प्रोफ़ेसर रेखा गोविल को "शिक्...
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1. Abdul Bismillah 2. Abhimanyu Anat 3. Ajit Kumar 4. Alok Puranik 5. Amrit lal Vegad 6. Anjana Sandheer 7. Anurag Sharma"Smart ...
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निसंदेह यदि कुत्ता सुस्त होगा तो लोमड़ी क्या,बिल्ली भी उस पर झपट्टा मार देगी। आलसी कुत्ते से चिड़िया भी नहीं डरती, लोमड़ी की तो बात ही क्या...
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जब कोई किसी भी बात में सफल होता है तो उसकी कहानी उसकी "सक्सेज़ स्टोरी" के रूप में प्रचलित हो जाती है। लेकिन यदि कोई अपने मकसद...
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"राही रैंकिंग -2015" हिंदी के 100 वर्तमान बड़े रचनाकार रैंक / नाम 1. मैत्रेयी पुष्पा 2. नरेंद्र कोहली 3. कृष्णा सोबती 4....
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इस कशमकश से लगभग हर युवा कभी न कभी गुज़रता है कि वह अपने कैरियर के लिए निजी क्षेत्र को चुने, या सार्वजनिक। मतलब नौकरी प्राइवेट हो या सरकारी।...
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कुछ लोग समझते हैं कि केवल सुन्दर,मनमोहक व सकारात्मक ही लिखा जाना चाहिए। नहीं-नहीं,साहित्य को इतना सजावटी बनाने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं ह...