फिलिप्पीन्स में ज़ोरदार भू-कंप आया है. छोटे-छोटे मासूम बच्चों के निरीह चेहरे देख कर ईश्वर से झगड़ा करने का मन होता है.कभी कहा जाता था कि प्राकृतिक आपदाएं भी मानवीय कारणों से आती हैं. लेकिन यह बात सहसा विश्वास करने लायक नहीं. हाँ, यह अवश्य है कि प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्य डर कर नहीं बैठता.कुछ समय पहले जिस जापान ने कुदरत का कहर देखा था, आज उसने बर्फ से ढाई सौ कलाकृतियाँ बनाईं, जिनमें प्यार की विश्व-व्यापी यादगार 'ताजमहल' भी है.
लेकिन मानवीय विपदाएं भी तो कोई कम नहीं. किसी भी दिन का अखबार उठा कर देखिये, आदमी क्या नहीं कर रहा ? चोरी, डकैती, हत्या, लूट, हर देश के पास अपना-अपना कानून भी है और कानून की व्याख्या भी. लेकिन क्या आपको लगता है कि कानून में इन अपराधों के लिए जितनी सजा है उसे काट कर ये अपराधी फिर भले-आदमी बन जाते होंगे? बल्कि कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि एक बार पुलिस की महफ़िल में किस्मत आजमाकर ये शातिर वहां के रोज़ के ग्राहक बन जाते होंगे. यही लोग बार-बार अपराध कर-कर के बार-बार पुलिस की गिरफ्त में आते होंगे. कितनी मुबारक "गिरफ्त" है ये. कभी-कभी पुलिस को मीडिया के ज़रिये ये आंकड़े भी सामने लाने चाहिए कि पिछले एक-दो साल में जो अपराधी पकड़े गए वे अब कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं?यदि ऐसा होगा तो शायद नेताओं के 'निजी स्टाफ' का कैरियर ग्राफ भी जनता देख पायेगी. सरकारी स्टाफ का तो देख ही रही है.
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