नौ लोगों को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है. एक थानेदार भी आसानी से पकड़ कर इन्हें जेल में डाल सकता है. लेकिन आखिर कायदा-कानून भी कोई चीज़ है, कोई भी, कहीं भी, कैसे भी इन्हें कैसे पकड़ ले? इन्हें देखा जा सकता है. इनकी तस्वीरें उतारी जा सकती हैं. इनके बारे में मीडिया में खूब लिखा जा सकता है. इनकी चिरौरी-बिनती करने के लिए हवन-यज्ञ किये जा सकते हैं. इनके चाल-चलन पर छींटा-कशी की जा सकती है, लेकिन इन्हें पकड़ा नहीं जा सकता. सब थानों की अपनी-अपनी सीमा होती है,सब जगह की अपनी-अपनी पुलिस होती है. ऐसा नहीं है कि कोई भी हथकड़ी लेकर जाये और इन्हें धर ले.
ये नौ चाहे जिसकी जन्म-कुंडली बदल दें, इनकी चाल नहीं बदली जा सकती.
आपका अनुमान बिलकुल सही है. बात नौ ग्रहों की ही की जा रही है.
हम सब ग्लोबल-वार्मिंग को लेकर परेशान थे कि इन्होंने कुपित होकर ग्लोब को ठंडा कर दिया. हम भाप बन कर उड़ते पानी से पेड़-पौधों के सूखने की चिंता में थे कि इन्होंने आसमान से बर्फ की झड़ी लगा दी. हम एक-दो-तीन गिन रहे थे कि इन्होंने माइनस दस-बीस-तीस का राग छेड़ दिया.
क्या माना जाय?क्या मानव की करनी से ईश्वर का अपनी बनाई दुनिया के प्रति उत्साह ठंडा हो गया?
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