उमस भरी दोपहर थी। तालाब के किनारे आम के पेड़ पर एक तोता बैठा कच्चे आम को कुतर रहा था। आम का एक छोटा सा टुकड़ा उसकी चोंच से नीचे गिरा। पेड़ के नीचे उनींदे से बैठे कुत्ते ने उस टुकङे को लपक लिया। कुत्ते को जैसे ही टुकड़े का खट्टा स्वाद आया उसने झट उछाल कर टुकड़ा तालाब की ओर फेंका जंहा उसे एक तैरती हुई मछली ने पकड़ लिया।
मछली उसे ज्यादा देर चूसती न रह सकी। उसके खट्टे-तीखे स्वाद के चलते मछली ने भी उसे झट से पानी में उगल दिया, जहां से वह फिर मिट्टी में जा मिला।
मिट्टी ने उसे देखते ही डाँटना शुरू किया-"क्यों रे अभागे, मैंने तेरी माँ की महीनों तक देखभाल करके, उसे उगाकर पेड़ बनाया, जिस पर तूने जन्म लिया। और तू किसी के काम न आकर उछलता-कूदता फ़िर मेरे पास चला आया?"
टुकड़ा बोला-"मैं क्या करूँ, मैं तो तोता, कुत्ता,मछली तीनों के मुंह में गया, पर तीनों ने ही मेरा अपमान करके वापस फेंक दिया।"
धरती कुपित होकर बोली-"अच्छा, उन स्वाद के दीवानों की ये मज़ाल, तुझे फेंक दिया? मैं तीनों को सजा दूँगी। आज से इन तीनों को कैद में रहना होगा।"
-"हमेशा?" टुकड़े ने चकित होकर पूछा।
-"अरे नहीं रे, इतनी सी बात के लिए उम्र-क़ैद थोड़े ही होती है! इन्हें हल्का-फुल्का कारावास मिलेगा।" धरती बोली।
उस दिन से आदमी का जब भी किसी को पालतू बनाने का दिल करता, वह प्राणियों में से कुत्ते के गले में पट्टा डालता,पंछियों में से तोते को पिंजरे में डालता,और जलचरों में से मछली को काँचघर में बंद कर के अपने घर ले आता। फिर इन्हें वही खाना मिलता जो आदमी खिलाता।
आदमी की क़ैद में सबसे ज्यादा यही तीनों देखे जाते।
मछली उसे ज्यादा देर चूसती न रह सकी। उसके खट्टे-तीखे स्वाद के चलते मछली ने भी उसे झट से पानी में उगल दिया, जहां से वह फिर मिट्टी में जा मिला।
मिट्टी ने उसे देखते ही डाँटना शुरू किया-"क्यों रे अभागे, मैंने तेरी माँ की महीनों तक देखभाल करके, उसे उगाकर पेड़ बनाया, जिस पर तूने जन्म लिया। और तू किसी के काम न आकर उछलता-कूदता फ़िर मेरे पास चला आया?"
टुकड़ा बोला-"मैं क्या करूँ, मैं तो तोता, कुत्ता,मछली तीनों के मुंह में गया, पर तीनों ने ही मेरा अपमान करके वापस फेंक दिया।"
धरती कुपित होकर बोली-"अच्छा, उन स्वाद के दीवानों की ये मज़ाल, तुझे फेंक दिया? मैं तीनों को सजा दूँगी। आज से इन तीनों को कैद में रहना होगा।"
-"हमेशा?" टुकड़े ने चकित होकर पूछा।
-"अरे नहीं रे, इतनी सी बात के लिए उम्र-क़ैद थोड़े ही होती है! इन्हें हल्का-फुल्का कारावास मिलेगा।" धरती बोली।
उस दिन से आदमी का जब भी किसी को पालतू बनाने का दिल करता, वह प्राणियों में से कुत्ते के गले में पट्टा डालता,पंछियों में से तोते को पिंजरे में डालता,और जलचरों में से मछली को काँचघर में बंद कर के अपने घर ले आता। फिर इन्हें वही खाना मिलता जो आदमी खिलाता।
आदमी की क़ैद में सबसे ज्यादा यही तीनों देखे जाते।
वाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
Dhanyawad!
ReplyDeleteपर आदमी फिर भी बिना बंधन घूम रहा है सुन्दर रचना
ReplyDeleteDhanyawad, Admi kaisa bhi swad, chhodta nahin hai na!
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