Sunday, June 15, 2014

आप भी रोक सकते हैं बुढ़ापे को

सुबह-सुबह पार्क में एक युवक जॉगिंग करता हुआ भागा जा रहा था कि  उसकी निगाह सड़क के किनारे चुपचाप बैठे एक बूढ़े पर पड़ी। युवक ने सीखा हुआ था कि जब जो काम करो, वही करो, और उसी में पूरा ध्यान दो, लिहाज़ा वह अपने रास्ते चक्कर काटता रहा।
हर चक्कर में उसका ध्यान बूढ़े पर जाता। युवक सोचता रहा कि आख़िर बूढ़े में ऐसी कौन सी बात है जो युवक का ध्यान खींच रही है। और तब युवक ने गौर किया कि बूढ़ा लगातार हँस रहा है।
युवक जब जॉगिंग कर चुका तब हाँफता हुआ बूढ़े के पास आया और उससे बोला-"देख रहा हूँ कि आप लगातार हँसे जा रहे हैं, आप अपने बारे में कुछ बताइये"
बूढ़ा बोला-"मेरा जन्म लगभग सत्तर साल पहले एक ऐसे मुल्क में हुआ जो अब नहीं है।"
-"कहाँ गया?" युवक ने जिज्ञासा प्रकट की।
-"अपने समीप के एक बड़े देश में मिल गया" बूढ़ा बोला।
-"ये तो अच्छी बात है, आप हँसे क्यों जा रहे हैं?" युवक ने बातचीत को नया मोड़ देना चाहा।
-"मैं जब छोटा सा था तो स्कूल में मेरी टीचर कहती थी,कि अपने देश से प्रेम करो, जब देश नहीं रहेगा, तो हम कैसे रहेंगे? किन्तु अब देश नहीं है, फिर भी मैं हूँ।"बूढ़े ने अपने हँसने का कारण बताया।
युवक ने सिर खुजाते हुए कहा-"हाँ,अपवादस्वरूप आपके साथ ऐसा हो गया है, पर फिर भी अब लगातार हँसते चले जाने से भी क्या हासिल?"
बूढ़ा बोला-"बुढ़ापे में दिमाग कमज़ोर हो जाता है,तब आदमी के हंसने-रोने पर उसका नियन्त्रण नहीं रहता" और यह कह कर बूढ़ा ज़ोर-ज़ोर से हिचकियाँ लेकर रोने लगा।
युवक ने बेचैन होते हुए कहा-"अरे, अब रोने की क्या बात है?"
सुबकते हुए बूढ़ा बोला-"तुम इसलिए दौड़ रहे थे न, कि बुढ़ापे से दूर रहो?" कह कर वह फिर खिलखिला कर हंस पड़ा।
अब वे दोनों दोस्त बन चुके थे।  
                

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