मित्र कई तरह के होते हैं। बचपन के मित्र, स्कूल के मित्र, खेल के मित्र, भ्रमण के मित्र, ऑफिस के मित्र, मोहल्ले के मित्र, पार्क में जॉगिंग के मित्र, आदि-आदि।
मुंबई में तो ट्रेन मित्र भी होते हैं। फिर यदि आपकी कोई हॉबी है तो उसके भी मित्र बन जाते हैं। लिखने वालों के लेखक मित्र, प्रकाशक मित्र, संपादक मित्र भी होते हैं। कुछ न करने वालों के काम कराने के लिए नेता मित्र होते हैं। व्यापार मित्र होते हैं।
कहने की ज़रूरत नहीं, बॉय और गर्ल फ्रेंड्स भी होते हैं, पुरुष और महिला मित्र भी।
लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सबसे ज़्यादा टिकाऊ और गर्मजोशी भरी मित्रता "ईर्ष्या मित्रों" के बीच होती है।
यह दोस्ती दोनों ओर से बड़ी शिद्दत से निभाई जाती है, क्योंकि इसमें मित्रों द्वारा एक दूसरे को नीचा दिखाने का रोमांच छिपा होता है। यह मित्रता लम्बी चलती है।
मेरे एक परिचित परिवार ने अपने पारिवारिक मित्र को सपरिवार खाने पर बुलाया। विशेष व्यंजन के तौर पर पराँठों का कार्यक्रम बना। आलू,गोभी,मूली,प्याज़,पनीर के परांठे बनाये गए। मेज़बान महिला इतनी अभिभूत थीं कि बार-बार इस बात का ज़िक्र करतीं-पाँच तरह के पराँठे, पाँच तरह के परांठे।
मेहमान महिला भला क्यों हार मानतीं ? लिहाज़ा अगले सप्ताह का भोज-निमंत्रण उनकी ओर से भी दे दिया गया। जब वे लोग खाने पर आये तो देखा- आलू,गोभी,मूली,प्याज़,पनीर की कचौड़ियाँ तो बनी ही हैं, विशेष रूप से चुकंदर की लज़ीज़ कचौड़ियाँ भी हैं। और इस तरह इन मित्र ने जीत का परचम लहरा दिया।
माइंड इट, ये बात मैं नहीं कह रहा कि ईर्ष्या-मित्रता महिलाओं पर ज़्यादा फ़बती है।
मुंबई में तो ट्रेन मित्र भी होते हैं। फिर यदि आपकी कोई हॉबी है तो उसके भी मित्र बन जाते हैं। लिखने वालों के लेखक मित्र, प्रकाशक मित्र, संपादक मित्र भी होते हैं। कुछ न करने वालों के काम कराने के लिए नेता मित्र होते हैं। व्यापार मित्र होते हैं।
कहने की ज़रूरत नहीं, बॉय और गर्ल फ्रेंड्स भी होते हैं, पुरुष और महिला मित्र भी।
लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सबसे ज़्यादा टिकाऊ और गर्मजोशी भरी मित्रता "ईर्ष्या मित्रों" के बीच होती है।
यह दोस्ती दोनों ओर से बड़ी शिद्दत से निभाई जाती है, क्योंकि इसमें मित्रों द्वारा एक दूसरे को नीचा दिखाने का रोमांच छिपा होता है। यह मित्रता लम्बी चलती है।
मेरे एक परिचित परिवार ने अपने पारिवारिक मित्र को सपरिवार खाने पर बुलाया। विशेष व्यंजन के तौर पर पराँठों का कार्यक्रम बना। आलू,गोभी,मूली,प्याज़,पनीर के परांठे बनाये गए। मेज़बान महिला इतनी अभिभूत थीं कि बार-बार इस बात का ज़िक्र करतीं-पाँच तरह के पराँठे, पाँच तरह के परांठे।
मेहमान महिला भला क्यों हार मानतीं ? लिहाज़ा अगले सप्ताह का भोज-निमंत्रण उनकी ओर से भी दे दिया गया। जब वे लोग खाने पर आये तो देखा- आलू,गोभी,मूली,प्याज़,पनीर की कचौड़ियाँ तो बनी ही हैं, विशेष रूप से चुकंदर की लज़ीज़ कचौड़ियाँ भी हैं। और इस तरह इन मित्र ने जीत का परचम लहरा दिया।
माइंड इट, ये बात मैं नहीं कह रहा कि ईर्ष्या-मित्रता महिलाओं पर ज़्यादा फ़बती है।
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