Sunday, June 8, 2014

कैसा लगा?

भारतीय प्रधान मंत्री के कुछ विदेश दौरों की जानकारी सार्वजनिक हो गई है।  वे जहाँ-जहाँ जायेंगे, वहां के बारे में विस्तार से यथासमय ख़बरें आएँगी ही कि उनका क्या कार्यक्रम है, क्या प्रयोजन है, क्या संभावनाएं हैं, क्या आशंकाएं हैं, आदि-आदि।
एक बात जिस पर सबका ध्यान गया है वह उनके विदेश में हिंदी बोलने को लेकर है।आइये देखें कि इस फैसले पर जन-सामान्य की प्रतिक्रियाएं क्या कह रही हैं?
-ये वर्षों से वांछित, वर्षों से प्रतीक्षित फैसला है।
-ये देश का गौरव बढ़ाएगा।
-ये प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को "वैश्विक" नहीं बनने देगा।
-इसका पश्चिम में स्वागत नहीं होगा।
-ये एक आत्म -सम्मान वाले देश के राष्ट्रीय नेता की छवि प्रतिपादित करेगा।
-इससे वार्ताओं की गंभीरता और स्वीकार्यता प्रभावित होगी।
-ये दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश के स्वाभिमान के चलते होना ही चाहिए।
-क्या फ़र्क पड़ता है ?
-इसकी जितनी तारीफ़ की जाये, कम है।                

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