Monday, June 23, 2014

कड़क नोट कजरारे कारे

कर की चोरी करत-करत भये
धन की बोरी भरत-भरत भये
कड़क नोट कजरारे कारे !
जा के बदरा बैरी ला रे
स्विस के ताले खोल के ला रे
थोड़े-थोड़े तोल के ला रे
गुपचुप ला या बोल के ला रे
कड़क नोट कजरारे कारे !
जनता का धन चरत-चरत भये
माल तिजोरी धरत-धरत भये
कड़क नोट कजरारे कारे !
श्याम-श्याम धन वापस ला रे
या मालिक का नाम बता रे
क्यों परदेस छिपा आया रे
क्या स्वदेश से हुई खता रे    
कड़क नोट कजरारे कारे !        

No comments:

Post a Comment

शोध

आपको क्या लगता है? शोध शुरू करके उसे लगातार झटपट पूरी कर देने पर नतीजे ज़्यादा प्रामाणिक आते हैं या फिर उसे रुक- रुक कर बरसों तक चलाने पर ही...

Lokpriy ...