ये एक बहुत पुराना लतीफ़ा है कि "कवि" युवक को जब विवाह के लिए लड़की वाले देखने आए तो उन्होंने वही चिरपरिचित सवाल किया- "लड़का क्या करता है?"
यह बताने पर कि वह कवि है, लड़की वालों ने कहा, तो क्या कविता लिखने के अलावा और कुछ भी नहीं करता?
लड़के की माँ ने तिलमिला कर जवाब दिया-"करता कैसे नहीं है जी, कविता लिखने के बाद सब से सुनने के लिए मिन्नतें करता है। जेबखर्च से बचा-बचा कर किताब के लिए कागज़ लाता है, टाइपिंग,प्रूफ़ रीडिंग,प्रिंटिंग, डिज़ाइनिंग,बाइंडिंग करता है, बेचता है, बाँटता है,कवि सम्मेलन करवाता है.…
लड़की ने सब सुनते ही तुरंत कहा -"मैं शादी के लिए तैयार हूँ, बस एक शर्त है, ये बाक़ी सब करें, बस कविता लिखना छोड़ दें, अपनी कविता की जगह दूसरों की कविता के लिए ये सब करेंगे तो इनकी कमाई से घर का ख़र्च आराम से चल जायेगा।"
लड़के और उसकी माँ को लड़की के समझदार, गुणवती और सुशील होने में कोइ संदेह न रहा।
यह बताने पर कि वह कवि है, लड़की वालों ने कहा, तो क्या कविता लिखने के अलावा और कुछ भी नहीं करता?
लड़के की माँ ने तिलमिला कर जवाब दिया-"करता कैसे नहीं है जी, कविता लिखने के बाद सब से सुनने के लिए मिन्नतें करता है। जेबखर्च से बचा-बचा कर किताब के लिए कागज़ लाता है, टाइपिंग,प्रूफ़ रीडिंग,प्रिंटिंग, डिज़ाइनिंग,बाइंडिंग करता है, बेचता है, बाँटता है,कवि सम्मेलन करवाता है.…
लड़की ने सब सुनते ही तुरंत कहा -"मैं शादी के लिए तैयार हूँ, बस एक शर्त है, ये बाक़ी सब करें, बस कविता लिखना छोड़ दें, अपनी कविता की जगह दूसरों की कविता के लिए ये सब करेंगे तो इनकी कमाई से घर का ख़र्च आराम से चल जायेगा।"
लड़के और उसकी माँ को लड़की के समझदार, गुणवती और सुशील होने में कोइ संदेह न रहा।
वाह , कवियों से घबराने का चुटकला अब पुराना बेशक हो गया हो , पर सनातन है
ReplyDeleteDhanyawad, Kavi aisa sikka hai, jo kharaa ho ya khota, chal hi jata hai, isi se uski baat sanatan hai.
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