- डैडी , ये क्या बचपना है? अपने पिता किन्जान को बच्चों की तरह डांटते हुए डेला ने उस कमरे में कदम रखा, जहाँ हाथ में पट्टी बांधे बच्चों की सी निरीहता से किन्जान एक नर्सिंग-होम के बिस्तर पर बैठा था। नज़दीक ही पेरिना खड़ी थी, जिससे डेला को यह खबर मिली थी, कि सुबह बहस करते हुए किन्जान ने किसी बात पर नाराज़ होकर अपनी कलाई ब्लेड से काट डाली। बहुत खून बह गया, सभी लोग कहीं बाहर गए हुए थे, इसलिए झटपट पेरिना ही किन्जान को यहाँ लाई ।
थोड़ी ही देर में खबर मिलते ही सना , सिल्वा और युवान भी वहां दौड़े चले आए. सब को हैरानी हो रही थी कि यह सब क्या किसी दुर्घटना-वश हुआ या फिर...आखिर ऐसी क्या बात हुई कि किन्जान और पेरिना के बीच ऐसा झगडा हो गया? क्या ऐसा पहले भी कभी हुआ है, डेला ने बेटियों से जानना चाहा , जो खुद भी इस अप्रत्याशित घटना-क्रम से अचंभित थीं।
थोड़ी देर में तीनों बच्चे चले गए, तब पेरिना ने डेला को बताया, कि किन्जान नायग्रा-फाल्स को पार करने के उन लोगों के अभियान से बिलकुल भी खुश नहीं हैं। खुश होना तो दूर, वे इसे बर्दाश्त तक नहीं कर पा रहे हैं। वे दबी जुबान से यहाँ तक कह चुके हैं, कि यदि इन लोगों ने यह ख्याल नहीं छोड़ा तो वे घर छोड़ कर चले जायेंगे। वे चीनी मेहमानों को भी तुरंत उनके देश वापस भेज देना चाहते हैं।
डेला के लिए यह बात अचानक किसी बम के फटने जैसी थी। वह अवाक् रह गई। उसने क्या सोचा था, और क्या हो गया। वह फूट-फूट कर रो पड़ी। उसकी हिचकियाँ बंध गईं। किन्जान दीवार की ओर मुंह छिपा कर चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। डेला पेरिना को इंगित कर के कहती चली गई, कि उसने जब से होश संभाला है, डैडी को अपना सपना पूरा न कर पाने के लिए हताश और मायूस ही देखा है। वह चाहे जहाँ रही, उसके मन से यह बात कभी नहीं निकली कि डैडी अपनी असफलता के कारण अपने जीवन को कभी सुख से नहीं जी सके। वह भी अकेले में रातों को जगी है, और यह सोचती रही है कि किस तरह अपने पिता की मदद करे, और उनके अधूरे ख्वाब को पूरा करे। लोग तो कहते हैं कि यदि औलाद अपने माता-पिता के अधूरे काम पूरे करे तो लोग गर्व से फूले नहीं समाते। लेकिन यहाँ तो सारी बात ही उलट गई..डेला का दर्दनाक क्रंदन फिर शुरू हो गया।
आवाज़ सुन कर एक नर्स भीतर चली आई , और उसने डेला को संभाला। पेरिना भी सुबकने लगी थी। लेकिन नर्स के बाहर निकलते ही डेला फिर से फट पड़ी- " मुझे जब यह पता चला था कि ये लोग, जिनके साथ मैं अब काम कर रही हूँ, डैडी के अभियान को पूरा करने में मेरे लिए मददगार हो सकते हैं, तो मैंने वुडन को इनकी कम्पनी में काम करने के लिए मुश्किल से मनाया था, और वे बेमन से हमारा साथ देने के लिए तैयार हुए थे। मैंने खुद सारी तैय्यारी चुपचाप की थी, कि मैं सही समय पर डैडी को यह खुश-खबरी देकर खुश कर दूँगी, ...लेकिन मुझे यह नहीं, पता था कि बेटी को इतना भी हक़ नहीं है... " डेला के न आंसू थमते थे, और न आवाज़, मानो कोई जल-प्रपात नैनों की राह पा गया था। [जारी...]
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