किन्जान ने जब सुना कि मिस्टर हो और चुम कुछ समय के लिए ग्रोवसिटी के पास उस आश्रम के अवशेष देखने के लिए भी जा रहे हैं, जो कुछ साल पहले तहस-नहस हो गया था, तो उसे अचम्भा हुआ। इससे भी बड़ी बात तो ये थी कि वे दोनों चीनी मेहमान उस आश्रम के बारे में कुछ दस्तावेजी जानकारी भी रखते थे।
युवान को तो सना और सिल्वा की कम्पनी में दीन -दुनिया की खबर ही न रही। सैर का असली मज़ा तो वे लोग ले रहे थे।
कुछ दिन मेहमान लोग बाहर रहे , लेकिन जब लौटे तो सरगर्मियां बढ़ गईं थीं। पेरिना और डेला ने भी शायद भांप लिया था कि किन्जान को मेहमानों का साथ ज्यादा नहीं भा रहा है, और वे लोग आपस में बात करने से बचते हैं। वे भी इस तरह कार्यक्रम बनातीं, कि किन्जान को अपनी सुविधानुसार उनसे अलग रह पाने का अवसर मिले। कई बार मिस्टर हो और किन्जान के बीच आपसी बात-चीत में तनाव बढ़ता घर में सभी लोगों ने महसूस किया था।
और तभी एक दिन डेला ने धमाका किया। उसने बताया कि मिस्टर हो के देश से एक दल वहां आ चुका है, जो जल्दी ही विशेष नाव से अमेरिका के विश्व-प्रसिद्द जल-प्रपात नायग्रा फाल्स को पार करेगा। इस खबर ने जहाँ घर में सभी को एक उत्साह से भर दिया, वहीँ किन्जान पर मानो एकाएक कोई गाज गिरी. किन्जान न केवल अनमना सा हो गया , बल्कि उसके भीतर कहीं कोई भूचाल सा आ गया। इस खबर को सुनने के बाद से ही वह पागलों जैसा अजीबो-गरीब व्यवहार करने लगा।
घर में केवल एक पेरिना ही थी, जो किन्जान की मनोदशा का थोडा बहुत अंदाज़ लगा पा रही थी। लेकिन उसे भी यह आभास नहीं था कि किन्जान के मन में अपने असफल अभियान की इतनी बड़ी हताशा पल रही है। वह वर्षों गुजर जाने के बाद भी अपने सपने को बिसरा नहीं पाया है।
उधर डेला तो किन्जान की मानसिक स्थिति से बिलकुल अनजान थी। उसे ये सपने में भी गुमान नहीं था, कि उसके पिता इस हद तक अपनी अभिलाषा पर अपना एकाधिकार समझे बैठे हैं, कि दो पीढियां गुजर जाने के बाद भी उन्हें अपने सपने का किसी और के द्वारा पूरा किया जाना बुरा लग रहा है। डेला इस विचित्र स्थिति को बिलकुल नहीं समझ पा रही थी। वह तरह - तरह से अपने पिता किन्जान को अपने मेहमानों की मुहिम के बारे में बता कर उनके चित्त को स्थिर करने की कोशिश कर रही थी। उसे लगता था, कि उसके पिता अपनी युवावस्था में खिलाड़ी और सैनिक रहे हैं, अतः वे इस साहस-भरे कारनामे को सही परिप्रेक्ष्य में लेकर खुश होंगे, और उन्हें उत्साहित करके उनकी मदद ही करेंगे। लेकिन उसके लिए यह समझना कठिन था कि उसके पिता को उनका अभियान रुच क्यों नहीं रहा। डेला सोच में पड़ जाती, और मन ही मन अपने पिता को किसी तरह खुश रखने का जतन करती...[ जारी...]
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