Saturday, July 26, 2014

राजपथ

जंगल में चोरी छिपे लकड़ी काटने गया एक आदमी रास्ता भटक गया।  काफी कोशिशें कीं,किन्तु उसे राह नहीं मिली।  मजबूरन उसने कुछ दिन जंगल में ही काटने का निर्णय ले लिया।
खाने को जंगली फल मिल जाते थे, पीने को झरनों का पानी, काम कोई था नहीं, लिहाज़ा वह दिन भर इधर-उधर भटकता।
एक दिन एक पेड़ के तने से पीठ टिकाये बैठा वह आराम से सामने टीले पर उछल-कूद करते चूहों को देख रहा था कि अचानक उसे कुछ सूझा। वह कुछ दूरी पर घास खा रहे खरगोशों के पास पहुंचा, और उनसे बोला- "तुम्हें पता है, वो सामने वाला टीला वर्षों पहले तुम्हारे पूर्वजों का था।  एक रात चूहों ने उस पर हमला करके धोखे से तुम्हारे पुरखों को भगा दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया।"
खरगोश चिंता में पड़ गए।  एक खरगोश ने कहा-"क्या फर्क पड़ता है, हम अब यहाँ आ गए।"
आदमी बोला-"यदि ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन वे तुम्हें यहाँ से भी खदेड़ देंगे, और तब तुम्हारे पास दर-दर भटकने के अलावा कोई और चारा नहीं रहेगा।"
-"तो हम क्या करें?" एक भयभीत खरगोश ने कहा।
-"करना क्या है, तुम उनसे ज्यादा ताकतवर हो, उन्हें वहां से भगा दो, और अपनी जगह वापस लो।" आदमी ने सलाह दी।
खरगोशों ने उसी रात हमले की योजना बना डाली।
उधर शाम ढले आदमी चूहों के पास गया और बोला-"मैंने आज खरगोशों की बातें छिपकर सुनी हैं, वे तुम्हें यहाँ से मार-भगाने की योजना बना रहे हैं।"
-"मगर क्यों? हमने उनका क्या बिगाड़ा है?" एक चूहा बोला।
-"मैं क्या जानूँ,मगर मैंने तुम्हें सचेत कर दिया है, तुम पहले ही उन पर हमला कर दो, चाहो तो मेरे ठिकाने से थोड़ी आग लेलो, मैं तो खाना पका ही चुका हूँ। उनकी बस्ती में घास ही घास है,जरा सी आग से लपटें उठने लगेंगी।"कह कर आदमी नदी किनारे टहलने चल दिया।
रात को चूहों और खरगोशों के चीखने-चिल्लाने के बीच जंगल में भयानक आग लगी, जिसकी लपटें दूर-दूर तक दिखाई दीं।
संयोग ऐसा हुआ कि आग की लपटों के उजाले में आदमी को अपना रास्ता दिखाई दे गया।  वह अपने गाँव लौट गया।  मगर वहां जाकर उसने देखा कि उसके घर वालों ने उसके गुम हो जाने की रपट लिखा दी थी, और उसे न ढूंढ पाने के आरोप में कई अफसर बर्खास्त कर दिए गए थे।
अब उसके दिखाई देते ही सैंकड़ों कैमरे उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगे और उसकी तस्वीरें धड़ाधड़ अख़बारों में छपने लगीं।
तभी देश में चुनावों की घोषणा हो गई और अनुभवी आला-कमानों ने घोषणा की, कि लोकप्रिय चेहरों को ही मैदान में उतारा जायेगा।                                

2 comments:

  1. ऐसा ही होता है मनुष्य भी अपनी आदतों से बाज नहीं आता

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  2. Dhanyawad.Manushya ko sabse badi suvidha yahi hai ki use sudharne wala bhi koi Manushya hi nikal aata hai.

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