Tuesday, July 1, 2014

गुनगुनाते जवाब, बड़बड़ाते सवालों के !

मेरे एक भतीजे को हमेशा फ़िल्मी गाने गुनगुनाते रहने की आदत थी। मगर उसके दिमाग़ की हाज़िर जवाबी इतनी जबरदस्त थी कि वह गाते-गाते भी चारों ओर उठ रहे सवालों के सटीक जवाब दे डालता था।  उसे सही समय पर सटीक गाने बख़ूबी याद आते थे।
एक बार मेरी एक रिश्ते की बुआ एक स्कूल में इंटरव्यू देने जा रही थीं।  वहां टीचर और हॉस्टल वार्डन दोनों के पद ख़ाली थे।  संयोग से बुआ ने दोनों पदों पर आवेदन किया था, और वह दोनों के लिए ही क़्वालिफाइड भी थीँ।वे बार-बार कह रही थीं कि मेरा चयन तो निश्चित है, क्योंकि मैं एकसाथ दोनों पद सँभाल लूंगी। मेरा वही भतीजा उनके साथ गया।
शाम को उनके लौटते ही हम ने उत्सुकता से पूछा-"बुआ क्या हुआ? क्या कहा उन्होंने?"
इस से पहले कि बुआ कुछ बोल पातीं , भतीजा शीशे में अपने बाल संवारते हुए गुनगुनाने लगा -"न तू ज़मीं के लिए है न आस्मां के लिए"
एक दिन बुआ बोलीं-"मैंने अब तक कभी काम से लम्बी छुट्टी नहीं ली, इस बार लम्बा अवकाश लेकर कहीँ घूम कर आउंगी।"
इस बार भी वही भतीजा उनके बॉस से मिलवाने उन्हें लेकर गया। आते ही हमने पूछा-"क्या कहा बॉस ने?"
बुआ का मुंह खुलने से पहले ही भतीजे के गुनगुनाने की आवाज़ आने लगी -"कभी तेरा दामन न छोड़ेंगे हम"  
        

2 comments:

  1. हाजिर जवाबी किसी भी बात को रोचक व हल्का फुल्का बना देती है

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