Wednesday, November 16, 2011

बधाई 'गुड्डी'को भी

ऐश्वर्या का अभिषेक होने पर जो तोहफा दुनिया को मिल सकता है, वह मिल गया. लेकिन सारी बधाइयाँ दादाजी ही बटोर ले जाएँ, ये कहाँ तक ठीक है? सबसे बड़ी बधाई तो दादी जया जी को है, जिनकी गोद में इस नन्ही गुडिया को सबसे ज्यादा दुलार मिलेगा. इसके मम्मी-पापा-दादा तो व्यस्त सुपर-सितारे हैं, साथ में तो दादी ही खेलने वाली हैं. बधाई की एक अंजुरी डॉ हरिवंश राय बच्चन को भी, जिन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि बहती नदी की ही तरह इन्सान को भी अपनी आगामी पीढ़ियों में बहना अच्छा लगता है. यह बात उन्होंने उमर खैय्याम की रुबाइयों की गंध  के बह कर "मधुशाला" में चले आने के सन्दर्भ में कही  थी. 

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हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...