जिंदगी में मेहनत ज़रूरी है. चाहे जीवन को भाग्य के सहारे काटिए, चाहे कर्म के सहारे, श्रम तो हर हाल में सभी को करना ही पड़ता है.
जिस उम्र में आदमी घर पर नहाने-धोने के लिए भी बाल-बच्चों के कंधे का सहारा लेकर जाने लगता है, उस उम्र में अडवाणी जी सड़क पर देश को झिंझोड़ते हुए घूम रहे हैं.जिस उम्र में आदमी बोलने में अपनी आवाज़ नहीं बढ़ा पाता, उस उम्र में डॉ मनमोहन सिंह देश में महंगाई बढ़ा रहे हैं.
जयललिता, ममता और मायावती उन राज्यों को गुड़िया की तरह खिला रही हैं जो कभी आसानी से किसी के काबू में नहीं आये.इंजीनियर, वैज्ञानिक और अफसर बनने के लिए बच्चे अठारह-अठारह घंटे पढ़ाई कर रहे हैं. देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए सैनिक घंटों जी-जान से जुटे रहते हैं.
यहाँ तक कि अपनी फिल्मों को सफल बनाने के लिए फ़िल्मी-सितारे तक कड़ी मेहनत कर रहे हैं. कैटरीना कैफ तो 'धूम-३' में अपने को तैराकी की पोशाक के लिए फिट बनाने को खूब फल खा रही हैं, खूब पानी पी रही हैं, खूब नींद ले रही हैं.
मेहनत से कौन बच सकता है, कांस्टेबल हो या कैटरीना?
मेहनत से न बच पाने के लिये भी बड़ी मेहनत-मशक्कत की है बड़े लोगों ने - मेरा सवाल तो यह है कि मेहनताना कौन चुका रहा है?
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