यदि आज की मेरी पोस्ट पढ़ रहे हैं, तो कृपया मेरी एक अगस्त की पोस्ट भी पढ़ लीजिये. तीन महीने सात दिन पहले मैंने दक्षिण अमेरिका के सौंदर्य के बारे में कुछ कहा था. इसमें मैंने खास हवाला दिया था वेनेज़ुएला का.
पिछले रविवार को मिस वेनेज़ुएला इवियन लुनासोल सार्कोस २०११ की "मिस वर्ल्ड" चुन ली गईं.
मैं जब वेनेज़ुएला के सौंदर्य की परिभाषा, वहां की सौंदर्य द्रष्टि और उनके मानदंडों की बात कर रहा था, तब तक यह वेनेज़ुएलाई सुंदरी मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपने देश से बाहर भी नहीं निकली थी. रनर-अप मिस फिलिपीन्स और मिस प्युर्टोरिको के साथ इवियन का विजेता बनना संयोग भी हो सकता है, किन्तु अपनी बात मैं फिर दोहराता हूँ कि दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में , जिनमें वेनेज़ुएला या चिली अग्रणी हैं, सुन्दरता की व्यक्तित्व-जनित वास्तविकता को काफी पहले पहचान लिया गया है. यहाँ महिलाएं अंग-विन्यास के लिए मशक्कत नहीं कर रहीं, बल्कि उन बातों को सहजता से अंगीकार कर रही हैं जो गरिमामय औरत होने के लिए स्वाभाविक हैं.
स्पर्धाओं में संयोगों को भी नकारा नहीं जा सकता. हमारी नाम-ज्योतिष की अवधारणा भी बिलकुल बेबुनियाद तो नहीं कही जा सकती. भारत सुंदरी 'कनिष्ठा' विजेता-क्रम में काफी कनिष्ठ, अर्थात जूनियर रहीं.
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