यह कई सालों से होता रहा है कि देश के छोटे नगरों- गांवों से लोग फिल्म जगत से जुड़ने के लिए मुंबई जाते हैं. यह भी होता रहा है कि अच्छी कहानियां और लोकेशनें तलाशने के लिए निर्माता-निर्देशक लालायित रहते हैं. और ऐसी भी कई मिसालें मौजूद हैं कि अभिनेताओं-अभिनेत्रियों के कपड़े-गहने तैयार करने वाले भी देश-विदेश का रुख करते हैं.
निर्माता सतीश कौशिक राजस्थान में एक भव्य टेलेंट-हंट आयोजित कर रहे हैं, जिसमें ८ से लेकर ६० साल तक के लोगों को ऑडिशन के लिए आमंत्रित किया गया है. इसे लेकर इन दिनों अच्छा-खासा उत्साह है.
जीवन में बहुत सारे ऐसे मुकाम आते हैं जब लगता है कि सामने कोई कैमरा होता तो यादगार फिल्मांकन हो सकता था. हर बस्ती में चलते-फिरते लोगों को ध्यान से देखिये, क्या आपको इनमें बड़े और खूबसूरत सितारों की झलक नहीं मिलती? कितना ताजगी भरा होगा ऐसा चयन?
अरसे से ऐसा हो रहा है कि स्टार बनाये और उतारे जा रहे हैं. वे स्टारों के घर में ही होते हैं, केवल समय पर पेश किये जाते हैं. ऐसे में जीवन के वास्तविक "स्टारों" को तलाशना ज़रूर सुखद और सम्भावना भरा होगा.
निर्माता सतीश कौशिक राजस्थान में एक भव्य टेलेंट-हंट आयोजित कर रहे हैं, जिसमें ८ से लेकर ६० साल तक के लोगों को ऑडिशन के लिए आमंत्रित किया गया है. इसे लेकर इन दिनों अच्छा-खासा उत्साह है.
जीवन में बहुत सारे ऐसे मुकाम आते हैं जब लगता है कि सामने कोई कैमरा होता तो यादगार फिल्मांकन हो सकता था. हर बस्ती में चलते-फिरते लोगों को ध्यान से देखिये, क्या आपको इनमें बड़े और खूबसूरत सितारों की झलक नहीं मिलती? कितना ताजगी भरा होगा ऐसा चयन?
अरसे से ऐसा हो रहा है कि स्टार बनाये और उतारे जा रहे हैं. वे स्टारों के घर में ही होते हैं, केवल समय पर पेश किये जाते हैं. ऐसे में जीवन के वास्तविक "स्टारों" को तलाशना ज़रूर सुखद और सम्भावना भरा होगा.
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