Friday, November 18, 2011

मैं ही नहीं, मेरे अन्य पढ़ने वाले भी व्यथित हैं "स्मार्ट इंडियन" की गैर-मौजूदगी से

मैं हमेशा से इस बात का कायल रहा हूँ कि लिखने वालों को अपने दिल की बात लिखनी चाहिए, इस बात पर नहीं जाना चाहिए कि इसे कौन पढ़ेगा,पढ़ कर क्या सोचेगा या क्या प्रतिक्रिया देगा. इसी तरह बोलने वालों, चित्रकारी करने वालों,या किसी भी कला के प्रस्तुत करने वालों को सोचना चाहिए.
लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं हो पाता.आपका ध्यान अपने पढ़ने-सुनने वालों पर इतनी तन्मयता से जाने लगता है कि अगर वो बीच में उठ कर चले जाएँ, तो आपका ध्यान या एकाग्रता भंग हो ही जाते हैं. ऐसे अवसर पर एक बार आपको रुक कर सोचना ज़रूर चाहिए.
मैं लगभग डेढ़ साल से अपने ब्लॉग पर नियमित हूँ. इस बीच फोलोअर के रूप में "स्मार्ट इंडियन' से मेरा लगभग सतत संवाद रहा है. वे लगातार अपनी प्रतिक्रिया सार्थक टिप्पणियों के रूप में मुझे देते भी रहे हैं. पिछले कुछ दिनों  से उन्हें अपने ब्लॉग पर न पा कर मैं कुछ विचलित हुआ.किन्तु मैं अपनी इस दुविधा को छिपा गया और लगातार लिखता रहा. किन्तु आज मैं देख रहा हूँ कि दूसरे देश से मुझे पढ़ने वाले मेरे पाठक भी मेरी विचार-श्रृंखला में से उन बिन्दुओं को ढूंढ रहे हैं, जो मैंने स्मार्ट इंडियन के आह्वान पर लिखे थे.
अब इस विषय पर सोचने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है. मैं केवल यह कहूँगा कि ब्लॉग पर किसी फोलोअर का आना- जाना बहुत से कारणों से हो सकता है. उनकी व्यस्तता, कोई तकनीकी कारण, उनका ऊब जाना, कोई भी कारण हो सकता है.  

6 comments:

  1. प्रबोध जी, आपने याद किया इस बात की खुशी भी है और आपकी व्यथा कारण बनने से शर्मिन्दा भी हूँ। जैसा कि आपने कहा, कारण तकनीकी है। ऐसा लगता है कि गूगल/ब्लॉगर किसी बड़ी तकनीकी समस्या से जूझ रहा है। बहुत सी टिप्पणियाँ पोस्ट ही नहीं हो पा रही हैं। निम्न एरर आ जाती है:
    "अपेक्षित आवश्यक फ़ील्ड खाली रिक्त नहीं होनी चाहिए"
    कई बार टिप्पणी पोस्ट हो जाने के बाद ग़ायब हो जाती है। इसी बीच कई मित्रों के ब्लॉग ही पूरी तरह ग़ायब हो गये। मैं भी पिछले एक महीने से काफ़ी व्यस्त रहा पर इतना व्यस्त कभी नहीं था कि आपका ब्लॉग पढना रोक देता। आज भी आपकी पोस्ट "हम कौन सी तारीख को अच्छा ..." पर तीन बार टिप्पणी की परंतु वह एक बार भी पोस्ट नहीं हो सकी।

    सादर,
    अनुराग शर्मा.

    ReplyDelete
  2. बिल्कुल अपनी इच्छा भी हो सकती है, यह भी हो सकता है कि पढ़ने आते भी हों परंतु उस विषय पर टिप्पणी करना उनके लिये संभव ना होता हो। ऐसा कई बार होता है।

    ReplyDelete
  3. विषयानुसार सार्थक टिप्पणी करना अनुराग शर्मा जी की विशेषता है। निश्चित ही उनकी व्यस्तता ही उनकी गैरमौजूदगी की वजह होगी, क्योंकि जितना मैंने उन्हें जाना है उसके अनुसार हाथ छुड़ाकर जानेवालों में उनका शुमार नहीं है।

    ReplyDelete
  4. आदरणीय प्रबोध जी,

    आपने याद किया, बहुत अच्छा लगा। शुरू से ही आपका स्नेह मिला, इस लिहाज़ से मेरी किस्मत अच्छी है। मैं आपकी हर पोस्ट पढता रहा हूँ, परंतु आजकल ब्लॉगर डॉट कॉम पर कुछ ऐसी तकनीकी गड़बड़ सी होती लग रही है कि बहुत सी टिप्पणियाँ ब्लॉग्स पर दिख नहीं रही हैं। कभी-कभी तो दिखने के बाद भी ग़ायब हो रही हैं। इस पोस्ट पर भी यह मेरा तीसरा या चौथा प्रयास है। आशा करता हूँ कि इस बार यह टिप्पणी दिखती रहे।

    ReplyDelete
  5. ab aapse baat karunga. bhool gaya ki koi duvidha thi.

    ReplyDelete
  6. जी, यह गूगल की एक तकनीकी समस्या ही थी शायद। आपका ब्लॉग पढना तो छोड ही नहीं सकता। हाँ, मेरे लिखे कमेंट प्रकाशित नहीं हो रहे थे। अब एक बार फिर प्रयास करके आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ।

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...