Saturday, November 12, 2011

वक्त की पाबन्द हैं, आती-जाती रौनकें

कल तारीखों का एक अद्भुत संयोग आया था. सदी का ११वा साल,साल का ११वा महीना, महीने का ११वा दिन. मैंने सोचा था इस मौके में दिन का ११वा घंटा और घंटे का ११वा मिनट भी जोड़ कर, आपसे कुछ ख़ास बात करूँ. 

2 comments:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति , आभार.

    ReplyDelete
  2. dhanywad, lekin is ajoobe awsar par aapse mera sampark toot gaya tha.

    ReplyDelete

शोध

आपको क्या लगता है? शोध शुरू करके उसे लगातार झटपट पूरी कर देने पर नतीजे ज़्यादा प्रामाणिक आते हैं या फिर उसे रुक- रुक कर बरसों तक चलाने पर ही...

Lokpriy ...