Saturday, July 31, 2010

असमंजस

आज मेरा मन लिखने में नहीं लग रहा। लेकिन यह भी अच्छा नहीं लग रहा कि आज मैं कुछ नहीं कहूं। अपने इस असमंजस का कारण भी आपको बताता हूँ। आज दरअसल मैं भारत जा रहा हूँ। अभी वहां दो ज़रूरी काम हैं। १५ सितम्बर को मुझे जयपुर के नज़दीक एक विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन करना है। यदि इस काम के लिए मुझसे कुछ नए और उत्साही लोग जुड़ते हैं तो मुझे अच्छा लगेगा। मेरी उम्मीद है कि उनमें कुछ साहित्यिक रुझान हो तो मैं उन्हें ज्यादा करीब समझूंगा। इसका कारण मेरा दूसरा काम है। जल्दी ही मैं जयपुर से एक पत्रिका भी निकालना चाहता हूँ। मेरी एक पत्रिका " राही अन्तःक्षेप" काफी समय तक चली भी थी पर मेरे उसे समय न दे पाने और उसके लिए कोई ताजगी भरे दिमाग का युवा संपादक न मिल पाने के कारण वह नियमित न रह सकी। इस बार मैं उसके लिए कोई उपयुक्त पात्र तलाश करूंगा। कार्यालय और आवास उपलब्ध है। पत्रिका का भारत सरकार से पंजीकरण भी है। रात को न्यूयॉर्क से निकल कर एक सप्ताह गुजरात में ठहर कर जयपुर पहुंचूंगा। इस के बाद मुझसे संपर्क किया जा सकता है। यह दो काम तो तत्काल हैं ही, पर इनके साथ यह भी बतादूँ, कि भारत के कुछ स्थानों की यात्रा भी करनी है। यदि मुझे मेरे प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त लोग मिल गए तो वे भी यात्रा में साथ रह सकते हैं। बस, इस समय इतना ही। भारत से अगली पोस्ट में और बातें होंगी।

4 comments:

  1. आपको आपके नेक मकसद में कामयाबी मिले....

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  2. aapki asmanjas ko thoda aur badhate hue main aapse jaanna chahta hun ki aapki patrika ki bhasha kya hai? kya chapna chahte hain isme? samy mile to zawab dijiyega. aapse sampark ka sirf ek hi rasta hai 'blog'. hamari shubhkamnaaen!

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  3. Grijesh ji, Aap mujhe e-mail id prabodhgovil@gmail.com athva mobile 9414028938 per sampark karen. Patrika Hindi mein hi hogi, tatha isme samayik vishyon aur sahitya khand ka samavesh hoga.

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  4. Hello sir,
    Greeting!!!

    it was sharp 8:01 am today when I saw your mail id in the list of my followers on my blog and I climbed on your blog too... and wrote this comment...
    your dedication and contribution for the youth is incredible..

    it will open up the new scope and opportunities for the youth bu sure.. I have not still done thorough study of what and how you are actually working for but I will definitely do that...

    I salute !!!!

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