प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
Monday, July 19, 2010
उन मासूमों की जाति कौन सी ?
पिछले महीने हम ग्रोव सिटी जा रहे थे .ला गार्डिया हवाई अड्डे से हमने डेटरोइट के लिए जहाज़ पकड़ा .वहां पहुंचकर हमें दो घंटे बाद दूसरा जहाज़ पिट्सबर्ग के लिए पकड़ना था.जब हम पिट्सबर्ग पहुंचे तो शाम होने को आगई थी.रस्ते के थाई और मलेशियन स्वादिष्ट भोजन के बाद भी अबतक भूख लग आई थी.पिट्सबर्ग से लिमोजिन कारें टेक्सी के रूप में चलती हैं.हम कुछ ही देर में ग्रोव सिटी पहुँच गए.यह एक छोटा सा बेहद सुन्दर क़स्बा था जहां कालेज व स्कूलों की अत्यंत शालीन क्लासिक इमारतें इसे एक धीर गंभीर शिक्षा केंद्र का रूप दे रही थीं.हम रात का खाना खाने के बाद पास के बाज़ार तक घूमना चाहते थे,पर शहर से हट कर बसे इस इलाके में उस समय टेक्सी मौजूद नहीं थी.होटल की मैनेजर युवती बहुत मिलनसार थी.उसने थोड़ी देर में ही हमें रास्ता सुझा दिया.वह बोली-मेरी एक मित्र अपनी कार में आपको घुमा देगी .उस महिला की कार में जाते हुए हम थोड़ी देर में ही उस से ऐसे मित्रवत हो गए मानो बरसों से उसे जानते हों.उसने हमें बताया कि उसे भारत से बड़ा लगाव है.वह कभी भारत देखना भी चाहती थी.हम ख़ुशी मिश्रित आश्चर्य से इसका कारण पूछने लगे.वह बोली-अभी हाल ही मेरी आंटी ने भारत के बच्चों को गोद लिया है.उनके कोई संतान नहीं थी,अब वह बच्चों को अमेरिका में पढ़ा रही हैं....मेरा मन उदास हो गया.बनाना रिपब्लिक के चमचमाते शो रूम पर जब गाड़ी रुकी ,मैं अपने मन के किसी सूने कोण से यह सोच रहा था कि भारत में जहाँ आरक्षण मांगने ,हड़ताल करने,पटरियां उखाड़ने,और अपनी अपनी जाति के नेताओं को वोट देने के लिए हर जाति अपने अपने वाशिंदों को गिनने में लगी है,ऐसे में ये नन्हे मासूम किस जाति में गिने जायेंगे?
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