Monday, July 19, 2010

तनहाई को तरसते बुत


कल रविवार था.शाम को हम लोग न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर के मैडम तुसाद संग्रहालय में घूम रहे थे.दुनिया के ख्यातनाम लोगों के मोम के पुतलों का यह म्यूजियम किसी भीड़ भरे बाज़ार की तरह गुलज़ार था.एक अद्भुत नज़ारा था.एक ही कक्ष में गाँधी,पोप,दलाईलामा,आइन्स्टाइन ,मार्टिन लूथर किंग,लिंकन,वाशिंगटन गोर्बाचौफ,क्लिंटन आदि को एक साथ बैठे देखना कौतूहल की पराकाष्ठा थी .लोगों ने उन्हें चारों ओर से घेर रखा था.दुनिया भर से आये लोग तरह तरह से उनके साथ अपनी तस्वीरें खिंचवा रहे थे.ये सभी पुतले थे.इनके साथ कैसा भी सलूक किया जा सकता था.सिवा उन्हें कोई भौतिक नुक्सान पहुंचाने के,क्योंकि बड़ी संख्या में संग्रहालय के कर्मचारी वहां मौजूद थे.लोग हॉलीवुड स्टारों के साथ ऐसे फोटो खिंचवा रहे थे,मानो वे उनके मित्र ही हों.अमिताभ बच्चन,मर्लिन मुनरो,सेरेना विलियम्स,मोहम्मद अली,जूलिया राबर्ट्स,नील आर्मस्ट्रोंग,मेडोना,अराफात,बिल गेट्स माइकल जैक्सन या ब्रिटनी लोगों के लिए सहज सुलभ थे.ये सभी ऐसे लोग थे जिनकी हकीकत में एक झलक पाना लाखों लोगों का सपना होता है और जो फिर भी ज़िंदगी में पूरा नहीं हो पाता.यहाँ तक कि एक कक्ष में बड़ी आफिस टेबल पर फोन हाथ में लेकर लोग किसी महान शख्सियत की तरह फोटो खिंचवाते थे और उनके पीछे ओबामा सपत्नीक खड़े मुस्करा रहे होते थे.एक कल्पनातीत दुनिया का लुत्फ़ .जिन्हें अकेलापन या सुकून भरी तनहाई मुश्किल से ही नसीब होती रही,उनके बुतों को भी लोगों ने तनहा नहीं छोड़ा था.सिर्फ अहसास का व्यापार वहां जारी था.नयनसुख का हैरत भरा कारोबार .शायद जीवन की सफलता का एक मापदंड यह भी है कि लोगों से घिरे रहना आपने कितना सीखा.लोग आपको देखना चाहें ,चाहे आप न भी हों.

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