एक राजा था। वह दिनभर राजकाज में व्यस्त रहता पर शाम होते ही थोड़े आराम, और हवा बदलने की गरज से महल की छत पर आ जाता। उसके साथ महल की छत पर रानीजी भी आतीं। दोनों चहलकदमी करते। राजा को एक अनोखा शौक था। वह रोज़ शाम को छत पर एक सफ़ेद कबूतर मंगवाता और उसे आसमान की ओर उड़ा देता। कुछ दिन तक यह खेल रानी ने देखा, फिर वह एक दिन पूछ बैठी- "आप रोज़ कबूतर आकाश में क्यों उड़ाते हैं?"
राजा ने कहा- "यह शान्ति का प्रतीक है, इससे शांति और समृद्धि आती है।" यह सुन कर रानी ने भी राजा से कबूतर उड़ाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की।
अब रोज़ कबूतर लाया जाता और कभी राजा तो कभी रानी उसे उड़ाते।
दूर-दूर से प्रजाजन शाम होते ही महल की छत की ओर निहारने लगते, और राजा या रानी को कबूतर उड़ाते देख आनंदित होते।
राज्य में सचमुच खुशहाली आने लगी। सब समृद्ध होने लगे। धन बरसने लगा।
राजा को अचरज हुआ, एकाएक इतनी सम्पन्नता राज्य में भला किस तरह आ सकती है? राजा ने अपने गुप्तचरों को इस काम पर लगा दिया। कहा, यह पता लगाएं, कि सब खुशहाल कैसे हो रहे हैं?
कुछ दिन में गुप्तचर खबर लाये। उन्होंने राजा को बताया- "रोज़ शाम को आप या रानी साहिबा छत से कबूतर उड़ाते हैं। प्रजा में इस बात पर भारी सट्टा लगता है कि आज राजा या रानी में से कौन कबूतर उड़ाएगा ? इसी सट्टे से जनता मालामाल होती जा रही है।"
राजा ने कहा- "यह शान्ति का प्रतीक है, इससे शांति और समृद्धि आती है।" यह सुन कर रानी ने भी राजा से कबूतर उड़ाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की।
अब रोज़ कबूतर लाया जाता और कभी राजा तो कभी रानी उसे उड़ाते।
दूर-दूर से प्रजाजन शाम होते ही महल की छत की ओर निहारने लगते, और राजा या रानी को कबूतर उड़ाते देख आनंदित होते।
राज्य में सचमुच खुशहाली आने लगी। सब समृद्ध होने लगे। धन बरसने लगा।
राजा को अचरज हुआ, एकाएक इतनी सम्पन्नता राज्य में भला किस तरह आ सकती है? राजा ने अपने गुप्तचरों को इस काम पर लगा दिया। कहा, यह पता लगाएं, कि सब खुशहाल कैसे हो रहे हैं?
कुछ दिन में गुप्तचर खबर लाये। उन्होंने राजा को बताया- "रोज़ शाम को आप या रानी साहिबा छत से कबूतर उड़ाते हैं। प्रजा में इस बात पर भारी सट्टा लगता है कि आज राजा या रानी में से कौन कबूतर उड़ाएगा ? इसी सट्टे से जनता मालामाल होती जा रही है।"
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
Dhanyawaad.
ReplyDelete:):) हर जगह सट्टे का खेल ।
ReplyDeleteAb hame iski aadat daalni hogi kyonki isi ke saath rehna hai.
ReplyDelete:):) संगीता जी नें बिलकुल सही कहा....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteएक बार अवश्य देखें- तौलिया और रूमाल
Aap dono ka dhanyawaad.
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