लड़का बहुत तेज़ बाइक चला रहा था। उसके पीछे उसके पिता बैठे थे, जो किसी काम से बाज़ार गए थे। गाड़ी से उतरते ही पिता ने लड़के को टोका- "तुम बहुत तेज़ गाड़ी चलाते हो, इतना तेज़ नहीं चलना चाहिए, इससे दुर्घटना हो जाती है ।"
लड़के को बहुत आश्चर्य हुआ। आश्चर्य के कई कारण थे- पहला कारण तो ये था, कि दुर्घटना नहीं हुई थी, तब भी उसे ये बात कही जा रही थी। दूसरा कारण ये था कि गाड़ी चलाने से पहले या चलाते समय नहीं, बल्कि गाड़ी चला लेने के बाद उसे ये टिप्स दिए जा रहे थे। तीसरा कारण यह था, कि पिता को वहां जल्दी पहुंचना था, इसीलिए लड़के को ले जाया गया था, अन्यथा वह बस से जा रहे थे। चौथा कारण यह था कि समय से काम पूरा करवा दिए जाने पर किसी शाबाशी के बदले यह सीख मिली थी।
उधर पिता के मन में यह ख्याल था कि अभी तो वे साथ में थे, अकेले में तो यह न जाने कितनी तेज़ी और लापरवाही से चलाता होगा। ये आजकल के बच्चे सड़क के ट्रेफिक को कम्प्यूटर गेम समझते हैं, दुर्घटना होने के बाद ही इन्हें समझ आती है। इन्हें इतनी समझ नहीं है कि यह सब सुविधाएं आदमी की सहूलियत के लिए हैं, जान जोखिम में डालने के लिए नहीं।
यह विचार-भिन्नता पीढ़ी -अंतराल है। यहाँ पुरानी पीढ़ी को यह समझना होगा, कि उनके अनुभव की जगह बच्चे 'अपने' अनुभवों से ज्यादा सीखेंगे। बच्चों को भी यह सोचना चाहिए, कि उनसे ऐसा क्यों कहा जा रहा है, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
लड़के को बहुत आश्चर्य हुआ। आश्चर्य के कई कारण थे- पहला कारण तो ये था, कि दुर्घटना नहीं हुई थी, तब भी उसे ये बात कही जा रही थी। दूसरा कारण ये था कि गाड़ी चलाने से पहले या चलाते समय नहीं, बल्कि गाड़ी चला लेने के बाद उसे ये टिप्स दिए जा रहे थे। तीसरा कारण यह था, कि पिता को वहां जल्दी पहुंचना था, इसीलिए लड़के को ले जाया गया था, अन्यथा वह बस से जा रहे थे। चौथा कारण यह था कि समय से काम पूरा करवा दिए जाने पर किसी शाबाशी के बदले यह सीख मिली थी।
उधर पिता के मन में यह ख्याल था कि अभी तो वे साथ में थे, अकेले में तो यह न जाने कितनी तेज़ी और लापरवाही से चलाता होगा। ये आजकल के बच्चे सड़क के ट्रेफिक को कम्प्यूटर गेम समझते हैं, दुर्घटना होने के बाद ही इन्हें समझ आती है। इन्हें इतनी समझ नहीं है कि यह सब सुविधाएं आदमी की सहूलियत के लिए हैं, जान जोखिम में डालने के लिए नहीं।
यह विचार-भिन्नता पीढ़ी -अंतराल है। यहाँ पुरानी पीढ़ी को यह समझना होगा, कि उनके अनुभव की जगह बच्चे 'अपने' अनुभवों से ज्यादा सीखेंगे। बच्चों को भी यह सोचना चाहिए, कि उनसे ऐसा क्यों कहा जा रहा है, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
No comments:
Post a Comment