राजकुमार की आयु अभी मात्र सत्रह वर्ष थी। राजा ने सोचा, क्या इस कच्ची उम्र में इस पर राज्य का बोझ डालना उचित रहेगा? कहीं ऐसा न हो कि राजा अपने अधिकार छोड़ दे, और राजकुमार अपने कर्त्तव्य पकड़ न पाए। ऐसे में राज्य का पतन तय था।
राजा ने राज-ज्योतिषी की राय लेनी चाही। राज-ज्योतिषी ने कहा- "भविष्य में दूर-दूर तक राज्य को कोई खतरा नज़र नहीं आता। राजा चाहे जो भी निर्णय लें, राज्य खुशहाल और सुरक्षित ही रहेगा। किन्तु ..."
किन्तु क्या, महाराज? राजा ने विचलित होकर पूछा।
राज-ज्योतिषी ने कहा- एक धर्म-संकट अवश्य है, कुछ समय के लिए यह राज्य किसी स्त्री-शासक के हाथ में जाने का योग अवश्य बन रहा है।
राजा ने प्रसन्न होकर कहा- इसमें कैसा धर्म-संकट? यह तो और भी अच्छा है, कुछ समय के लिए, जब तक राजकुमार वयस्क हो, हम महारानी को सत्ता सौंप देते हैं।
महारानी चिंता में पड़ गईं।
राजा ने राज-ज्योतिषी की राय लेनी चाही। राज-ज्योतिषी ने कहा- "भविष्य में दूर-दूर तक राज्य को कोई खतरा नज़र नहीं आता। राजा चाहे जो भी निर्णय लें, राज्य खुशहाल और सुरक्षित ही रहेगा। किन्तु ..."
किन्तु क्या, महाराज? राजा ने विचलित होकर पूछा।
राज-ज्योतिषी ने कहा- एक धर्म-संकट अवश्य है, कुछ समय के लिए यह राज्य किसी स्त्री-शासक के हाथ में जाने का योग अवश्य बन रहा है।
राजा ने प्रसन्न होकर कहा- इसमें कैसा धर्म-संकट? यह तो और भी अच्छा है, कुछ समय के लिए, जब तक राजकुमार वयस्क हो, हम महारानी को सत्ता सौंप देते हैं।
महारानी चिंता में पड़ गईं।
आगे का जानने की उत्सुकता हो रही है
ReplyDeleteDhanyawaad, aapki utsuktaa kuchh achchha parinaam degi.
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