Thursday, July 12, 2012

मिल गए फिर आप !

पूरे अट्ठारह दिन आप से संपर्क कटा रहा। कभी-कभी ऐसा लगता था कि  आपसे पांच सौ से ज्यादा पोस्ट का संपर्क खिसक कर जैसे पानी में चला गया हो। लेकिन पानी की खूबी यह है कि  यह उतर जाता है। इसमें डूबा हुआ भी  फिर वापस मिल जाता है।
   इस बीच मौसम बदल गया। जो लोग गर्मी से बेहाल थे, अब राहत महसूस कर रहे हैं। अब सब-कुछ भीगा-भीगा सा है, सुहाना। लेकिन एक बात है, कुछ जगह अब भी वैसा सावन नहीं आया, जैसा आया करता है। चलिए, शायद ये कमी भी किसी से 'प्यासा सावन' जैसे कथानक लिखवाले। बहरहाल मैं खुश हूँ। क्योंकि पिछले दिनों आप मेरी लम्बी-लम्बी कहानियों से बोर हो गए थे। अचानक आये व्यवधान  ने कुछ दिन मुझे यह सोचने का समय दिया, कि  लोग छोटी-छोटी रचनाएं पसंद करते हैं, और मुझे चुप रखा।
   लेकिन फिर मुझे यह तो बताना ही होगा, कि  मैं खुश क्यों हूँ? इसलिए, कि  आपसे संवाद फिर कायम हो गया। 

2 comments:

  1. हम भी खुश हैं, वापसी का स्वागत है!

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  2. aapki upasthiti dekh kar sabkuchh pahle jaisa lag raha hai.

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