अब तो सब एक से होने की मुहिम में हैं। एक दूसरे में ज्यादा फर्क ही कहाँ है, चाहे आदमी हो या देश !फिर भी छोटा-मोटा फर्क तो रहेगा ही। अब सब बिलकुल एक से तो होने से रहे।
जापान में लोग कहते हैं- जो काम दुनिया का कोई भी आदमी कर सकता है, वह हम क्यों नहीं कर सकते? और जो काम दुनिया का कोई आदमी नहीं कर सकता, उसे हम तो करके रहेंगे ही।
भारत में लोग कहते हैं, जो काम दुनिया का कोई भी आदमी नहीं कर सकता, उसे हम भला कैसे कर सकते हैं। और जो काम दुनिया का कोई भी आदमी कर सकता है, उसे करने दो, हम भला क्यों रोकें?
अमेरिका में, लोग कुछ नहीं कहते, कर देते हैं।
एक खेत में तेज़ी से एक पत्थर आकर गिरा। पास खड़े पेड़ ने खेत को भड़काने की कोशिश की- देख, तू सर्दी-गर्मी-बरसात सहता है, हल तेरे बदन को चीर डालता है, बीज तेरे सीने पर आकर बैठ जाता है, पानी तेरा बदन सड़ा देता है, फिर भी तू फसल देता है, और अब ये ऊपर से तेरे ऊपर पत्थर !
-दिमाग खराब मत कर, पंछियों से मेरी फसल की रक्षा क्या तू करेगा? खेत बोला।
जापान में लोग कहते हैं- जो काम दुनिया का कोई भी आदमी कर सकता है, वह हम क्यों नहीं कर सकते? और जो काम दुनिया का कोई आदमी नहीं कर सकता, उसे हम तो करके रहेंगे ही।
भारत में लोग कहते हैं, जो काम दुनिया का कोई भी आदमी नहीं कर सकता, उसे हम भला कैसे कर सकते हैं। और जो काम दुनिया का कोई भी आदमी कर सकता है, उसे करने दो, हम भला क्यों रोकें?
अमेरिका में, लोग कुछ नहीं कहते, कर देते हैं।
एक खेत में तेज़ी से एक पत्थर आकर गिरा। पास खड़े पेड़ ने खेत को भड़काने की कोशिश की- देख, तू सर्दी-गर्मी-बरसात सहता है, हल तेरे बदन को चीर डालता है, बीज तेरे सीने पर आकर बैठ जाता है, पानी तेरा बदन सड़ा देता है, फिर भी तू फसल देता है, और अब ये ऊपर से तेरे ऊपर पत्थर !
-दिमाग खराब मत कर, पंछियों से मेरी फसल की रक्षा क्या तू करेगा? खेत बोला।
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