राजेश खन्ना अपनी जायदाद में से डिम्पल के नाम कुछ नहीं कर गए, इस बात से कुछ लोगों को कष्ट हुआ है। मीडिया ने भी खबर को उछाला है। यद्यपि राजेश ने अपना पैसा अपनी प्यारी बेटियों को ही दिया है जो डिम्पल की भी आज्ञाकारी बेटियां हैं। यह एक सामान्य सी, पति-पत्नी के तनावपूर्ण रिश्तों की परिणति नहीं है, इस बात में गहरे अर्थ छिपे हैं।
राजेश ने जब डिम्पल से विवाह किया था, तब वे न केवल उम्र में उनसे काफी छोटी थीं बल्कि "बॉबी "फिल्म की चमत्कारी सफलता से रातों-रात बनी सुपर हस्ती थीं। उधर राजेश अपनी बेमिसाल और लगातार तूफानी सफलता के हलके से धुंधलाने पर फूंक-फूंक कर कदम रखने वाली सुरक्षित पारी खेल रहे थे। यह भी उनकी सोने पर सुहागा सोच ही थी कि वे डिम्पल से विवाह कर लें। उनके विवाह के बाद असली जीवन में डिम्पल को वही करना पड़ा जो परदे पर अभिमान फिल्म में अमिताभ के लिए जया बच्चन ने किया। जया के त्याग ने अमिताभ को रुपहले परदे पर एंग्री यंगमैन बना दिया, वहीँ डिम्पल के त्याग ने राजेश के ज़ेहन में एक ठंडी आंधी उम्रभर चलाई।
इसमें कोई संदेह नहीं कि राजेश और अमिताभ की सफलताओं के आगे आसमान की ऊंचाइयां भी कम पड़ीं, लेकिन यह भी ध्रुव सत्य है कि डिम्पल और जया की शख्सियत भी अपने पतियों से इंच-मात्र भी कम नहीं पड़ी। ये दोनों ही अपनी पत्नियों की सुपीरियरिटी की आंच से कभी मुक्त नहीं हुए।
ऐसे में वसीयत करते समय राजेश के दिमाग में डिम्पल का न आना इसी आंच की गर्मी का नतीजा है। यह आने वाले युग का भी संकेत है कि पत्नियाँ पति की मुट्ठी के धान से ही अपना उदर पालने की स्थिति में अब नहीं रहने वालीं, न उनके जीतेजी, और न उनके जाने के बाद।
महिलाओं को इस जीत पर शानदार बधाई ...
राजेश ने जब डिम्पल से विवाह किया था, तब वे न केवल उम्र में उनसे काफी छोटी थीं बल्कि "बॉबी "फिल्म की चमत्कारी सफलता से रातों-रात बनी सुपर हस्ती थीं। उधर राजेश अपनी बेमिसाल और लगातार तूफानी सफलता के हलके से धुंधलाने पर फूंक-फूंक कर कदम रखने वाली सुरक्षित पारी खेल रहे थे। यह भी उनकी सोने पर सुहागा सोच ही थी कि वे डिम्पल से विवाह कर लें। उनके विवाह के बाद असली जीवन में डिम्पल को वही करना पड़ा जो परदे पर अभिमान फिल्म में अमिताभ के लिए जया बच्चन ने किया। जया के त्याग ने अमिताभ को रुपहले परदे पर एंग्री यंगमैन बना दिया, वहीँ डिम्पल के त्याग ने राजेश के ज़ेहन में एक ठंडी आंधी उम्रभर चलाई।
इसमें कोई संदेह नहीं कि राजेश और अमिताभ की सफलताओं के आगे आसमान की ऊंचाइयां भी कम पड़ीं, लेकिन यह भी ध्रुव सत्य है कि डिम्पल और जया की शख्सियत भी अपने पतियों से इंच-मात्र भी कम नहीं पड़ी। ये दोनों ही अपनी पत्नियों की सुपीरियरिटी की आंच से कभी मुक्त नहीं हुए।
ऐसे में वसीयत करते समय राजेश के दिमाग में डिम्पल का न आना इसी आंच की गर्मी का नतीजा है। यह आने वाले युग का भी संकेत है कि पत्नियाँ पति की मुट्ठी के धान से ही अपना उदर पालने की स्थिति में अब नहीं रहने वालीं, न उनके जीतेजी, और न उनके जाने के बाद।
महिलाओं को इस जीत पर शानदार बधाई ...
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