Saturday, July 28, 2012

चलें लन्दन, पर यह याद रखें कि किसी सितारे ने कभी आसमान नहीं तोड़ा

   ओलिम्पिक का लन्दन में जैसा अतुलनीय और विस्मयकारी आगाज़ हुआ, उसने एक बार फिर साबित किया, कि  लन्दन आखिर लन्दन ही है।
   भारतीय खिलाड़ी भी अपना अब तक का सबसे बड़ा दल लेकर लन्दन पहुँच चुके हैं। भव्य आयोजन में सब कुछ बड़ा और भव्य ही होता है, लिहाज़ा खिलाड़ियों के सपने भी बड़े ही हैं। लेकिन हमारे पूर्व-अनुभवों में भी एक बड़ी बात छिपी है, जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। हमारा अतीत यह सिद्ध करता रहा है, कि  किसी भी आयोजन में हमारे बड़े सितारों ने कोई कमाल नहीं दिखाया, बल्कि आयोजनों ने हमारे नए खिलाड़ियों को अचानक सितारा बनाया है। अतः यहाँ भी हमारी उम्मीदें छोटे प्रभा-मंडल वाले जांबाजों से ज्यादा हैं। इसका   यह मतलब नहीं है कि हम अपने नामवरों को शुभकामनाएं नहीं दे रहे। हम तो बस यह कह रहे हैं, कि  लन्दन से सबसे बड़ा खिलाड़ी हमारा कोई छुटभैया ही बन कर लौटेगा.
   बाकी फिर खिलाड़ियों का खिलाड़ी, ऊपर वाला जाने। चमत्कार करना तो उसका भी शगल है।    

No comments:

Post a Comment

शोध

आपको क्या लगता है? शोध शुरू करके उसे लगातार झटपट पूरी कर देने पर नतीजे ज़्यादा प्रामाणिक आते हैं या फिर उसे रुक- रुक कर बरसों तक चलाने पर ही...

Lokpriy ...