अभी कुछ देर पहले राजस्थान साहित्य अकादमी का मीरा समारोह सम्पन्न हुआ। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इस 31 हज़ार रूपये के पुरस्कार की राशि बढ़ा कर एकलाख करदी।
इस समारोह में प्रभाकर श्रोत्रिय ने जब यह कहा कि राजस्थान में आजकल केवल राजस्थान के ही साहित्य की बात ज्यादा हो रही है, तो वातावरण थोड़ा गंभीर हो गया।
इसी समारोह में एक वक्ता ने यह भी कहा कि ईश्वर बयानों में सख्ती नहीं चाहता था, इसीलिए उसने जिव्हा में हड्डी नहीं बनाई।
एक बार गांधीजी से किसी शिक्षाविद ने पूछा, कि आपके हिसाब से शिक्षा कैसी होनी चाहिए? गांधीजी ने पलट कर उसी से पूछा- यदि एक आदमी ने एक सेब पच्चीस पैसे में खरीदा और एक रूपये में बेचा, तो बताओ उसे क्या मिला? शिक्षाविद ने तुरंत कहा- पचहत्तर पैसे!
"शिक्षा ऐसी होनी चाहिए,कि देश के किसी भी बच्चे से जब यह सवाल पूछा जाए तो उसका उत्तर हो-जेल !" गांधीजी बोले।
इस समारोह में प्रभाकर श्रोत्रिय ने जब यह कहा कि राजस्थान में आजकल केवल राजस्थान के ही साहित्य की बात ज्यादा हो रही है, तो वातावरण थोड़ा गंभीर हो गया।
इसी समारोह में एक वक्ता ने यह भी कहा कि ईश्वर बयानों में सख्ती नहीं चाहता था, इसीलिए उसने जिव्हा में हड्डी नहीं बनाई।
एक बार गांधीजी से किसी शिक्षाविद ने पूछा, कि आपके हिसाब से शिक्षा कैसी होनी चाहिए? गांधीजी ने पलट कर उसी से पूछा- यदि एक आदमी ने एक सेब पच्चीस पैसे में खरीदा और एक रूपये में बेचा, तो बताओ उसे क्या मिला? शिक्षाविद ने तुरंत कहा- पचहत्तर पैसे!
"शिक्षा ऐसी होनी चाहिए,कि देश के किसी भी बच्चे से जब यह सवाल पूछा जाए तो उसका उत्तर हो-जेल !" गांधीजी बोले।
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