लन्दन की खबर है कि चालीस साल पहले डूब गए ब्रिटिश कार्गो जहाज़ से 44 टन भारतीय चांदी सुरक्षित निकाल ली गई है। यह चांदी दशकों तक सागर के गर्भ में इसलिए महफूज़ रही क्योंकि जहाँ यह पड़ी थी, वहां तक केवल समुद्री जीव-जंतुओं की ही पहुँच थी। धरती के वाशिंदों की नज़रों से यह कतई ओझल थी।
अब यह भारत में आ रही है, जहाँ यह कभी किसी महिला के गले से खींची जाएगी, कभी इसके लिए किसी वृद्धा के पैर काटे जायेंगे, कभी इसके लिए बच्चों के अपहरण होंगे, कभी इसके कारण बाज़ारों में गोलियां चलेंगी, और कभी गैर-कानूनी कामों के लिए यह अफसरों को भेंट चढ़ाई जाएगी।
चलिए, अभी तो इसके मिल जाने की ख़ुशी मनाएं, और उन जांबाजों का शुक्रिया अदा करें जिनकी मेहनत और सतर्कता से यह खोई दौलत फिर से हाथ आ सकी। रही बात हिंसा की, तो इसके लिए अकेले भारत पर ही क्यों आक्षेप लगाया जाये, उन चौदह लोगों की क्या ग़लती थी, जो अमेरिका में एक सिनेमाघर में फिल्म देखने अपने-अपने घरों से निकले थे?
अब यह भारत में आ रही है, जहाँ यह कभी किसी महिला के गले से खींची जाएगी, कभी इसके लिए किसी वृद्धा के पैर काटे जायेंगे, कभी इसके लिए बच्चों के अपहरण होंगे, कभी इसके कारण बाज़ारों में गोलियां चलेंगी, और कभी गैर-कानूनी कामों के लिए यह अफसरों को भेंट चढ़ाई जाएगी।
चलिए, अभी तो इसके मिल जाने की ख़ुशी मनाएं, और उन जांबाजों का शुक्रिया अदा करें जिनकी मेहनत और सतर्कता से यह खोई दौलत फिर से हाथ आ सकी। रही बात हिंसा की, तो इसके लिए अकेले भारत पर ही क्यों आक्षेप लगाया जाये, उन चौदह लोगों की क्या ग़लती थी, जो अमेरिका में एक सिनेमाघर में फिल्म देखने अपने-अपने घरों से निकले थे?
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