Wednesday, July 25, 2012

सीमा आँखों की होती है, अन्तरिक्ष की नहीं

जब हमारा जन्म होता है, कुदरत चारों ओर से सहारा देती है। कुदरत अपने पांच बेशकीमती तत्व देकर हमें गढ़ती है। और हमारे आँखें खोलते ही अपनी सारी सीमाओं  को तोड़ कर एक अनंत आकाश हमारे सामने फैला देती है। फिर बारी हमारी होती है- हम बड़े-बड़े सपने देखें और जुट जाएँ उन्हें पूरा करने में ! हमारे जन्म पर हमारा हमको यही सबसे मूल्यवान उपहार है।  

2 comments:

  1. यह जिंदगी ही कुदरत की देन है कुदरत का अमूल्य उपहार इसका मान रखना चाहिए

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...