Saturday, April 12, 2014

प्रौद्योगिकी के सहारे

इन दिनों देश में चुनाव का माहौल है. जीत-हार हो जाने के बाद तय हो जायेगा कि कौन शहंशाह और कौन ख्वामखाह, लेकिन अभी तो नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे ढोल-नगाड़ों पर तरह-तरह की तान  सुनने को मिल रही है.
एक दल ने दूसरे के मुखिया पर लांछन लगाया कि उन्होंने शादी करने के बाद अपनी पत्नी की सुध नहीं ली.
दूसरे दल ने झट पलटवार किया कि इन्होंने शादी करने के बाद उसे समय ही तो नहीं दिया, आपके मुखिया ने तो अब तक उसे ढूँढा ही नहीं है, न जाने बेचारी कहाँ होगी, किस हाल में होगी?
तभी एक अति बुजुर्ग नेताजी बोल पड़े- "आजकल प्रौद्योगिकी बहुत उन्नत है, बत्तीस साल बाद भी पता चल जाता है कि  किस-किस का कौन-कौन कहाँ-कहाँ  है?        

No comments:

Post a Comment

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...