Thursday, April 24, 2014

"द हिन्दू", हाँ-हाँ यही

 अभी कुछ दिन पहले एक अखबार में एक कार्टून देखा होगा आपने, जिसमें ट्रेक्टर चलाते हुए मोदीजी को दिखाया गया था, और उसके पहियों से घायल होकर सड़क पर पड़े कुछ अन्य नेताओं को.
शायद कार्टूनिस्ट कहना चाहता था कि मोदीजी केवल अपनी मर्जी से पार्टी चला रहे हैं, और अन्य नेताओं की बात नहीं सुन रहे हैं.
मुझे याद है कि  जब केंद्र में पहली बार विपक्ष की सरकार सत्ता में आई थी, तब इसी अखबार में एक कार्टून छपा था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री [मोरारजी देसाई] एक मुर्गी की तरह टोकरे में बैठे दिखाई दे रहे थे,और चारों ओर अलग-अलग पक्षियों के फूटे अण्डों से बच्चे झाँक कर चिल्ला रहे थे. 
मतलब ये था कि  सब अपनी-अपनी बात कह रहे हैं, और मुर्गी की कोई नहीं सुन रहा.
कहते हैं कि  "जन्म हो या मरण, पंडित तो लड्डू खायेगा"
जो लोग हमेशा इस बात से चिंतित रहे कि  कांग्रेस में एक के अलावा किसी की नहीं चलती वे अब इस बात से बेचैन हैं कि  भारतीय जनता पार्टी में केवल एक की ही चल रही है.
कॉलेज के दिनों में दोस्त एक चुटकुला अक्सर सुनाया करते थे-
"एक लड़की ने अपनी सहेली से पूछा- ये लड़के आपस में क्या बातें करते रहते हैं?
सहेली ने कहा- वही,जो हम लोग करते हैं.
-हाय, बड़े बदतमीज़ हैं. लड़की ने कहा."           

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