जीवन के प्रति सबका नजरिया अलग-अलग होता है. इसे किस तरह जिया जाए, इस बात का फैसला कई तथ्य करते हैं. मुझे लगता है कि सबसे अहम् और ठोस तथ्य यह है कि जीवन में आपकी आवश्यकताएं क्या हैं? अधिकांश लोग अपनी ज़रूरतों का छोर देख नहीं पाते, और इसलिए यह मान कर चलते हैं कि ये कभी ख़त्म नहीं होंगी.वे आवश्यकताओं को अनंत मानते हैं और इनकी पूर्ति के लिए जीवन-पर्यन्त प्रयत्नशील रहते हैं.
कुछ लोग इस सिद्धांत पर कायम रहते हैं कि जितना हो सके, अपने संसाधनों को अधिकतम किया जाए, और अपने हर दिन को पिछले दिन से अधिक संपन्न बनाया जाए.
मुझे लगता है कि ज़िंदगी को रेखीय सीध में न चला कर एक चढ़ते-उतरते ग्राफ की भांति चलाया जाए तो शायद संतुष्टि का स्तर ज्य़ादा उन्नत होगा.
लेकिन इसका अर्थ यह हरगिज़ नहीं है कि २०-२० में लगातार जीतती आई भारतीय क्रिकेट टीम अब अगले मैच में हार जाए.अगला तो फ़ाइनल है और इसमें न जीतने का मतलब है, अपनी सारी मेहनत पर पानी फेर लेना.श्रीलंका पर जीत तो सब भारतीय लोगों को चाहिए.केवल भारतीय ही क्यों, विश्वभर में केवल श्रीलंका के शुभचिंतकों को छोड़ कर बाकी सभी को भी.
कुछ लोग इस सिद्धांत पर कायम रहते हैं कि जितना हो सके, अपने संसाधनों को अधिकतम किया जाए, और अपने हर दिन को पिछले दिन से अधिक संपन्न बनाया जाए.
मुझे लगता है कि ज़िंदगी को रेखीय सीध में न चला कर एक चढ़ते-उतरते ग्राफ की भांति चलाया जाए तो शायद संतुष्टि का स्तर ज्य़ादा उन्नत होगा.
लेकिन इसका अर्थ यह हरगिज़ नहीं है कि २०-२० में लगातार जीतती आई भारतीय क्रिकेट टीम अब अगले मैच में हार जाए.अगला तो फ़ाइनल है और इसमें न जीतने का मतलब है, अपनी सारी मेहनत पर पानी फेर लेना.श्रीलंका पर जीत तो सब भारतीय लोगों को चाहिए.केवल भारतीय ही क्यों, विश्वभर में केवल श्रीलंका के शुभचिंतकों को छोड़ कर बाकी सभी को भी.
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