Saturday, April 12, 2014

आवश्यकता और आकांक्षा

 एक बार एक आदमी को स्वप्न में एक तोता दिखा।
खास बात ये थी कि तोता बोलता था और वह बात कर रहा था. बात भी आम तोतों की तरह नहीं कि  बस जो सुना, दोहरा दिया.बाकायदा वह तोता अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर रहा था और प्रभावशाली मौलिक बातें कर रहा था.
उसने आदमी को प्रस्ताव दिया कि  वह तोते से कुछ मांग ले, क्योंकि वह तोता उसे देने में सक्षम है.
आदमी ने अवसर का लाभ उठाना श्रेयस्कर समझा.
उसने तुरंत तोते से कहा कि वह लगातार अंतरिक्ष में घूम कर धरती को देखते रहना चाहता है.
तोते ने कुछ सोच कर पूछा-"वह ऐसा कितनी देर के लिए करना चाहेगा?"
आदमी ने कहा, अनंत काल तक.
अचानक तोते की जिज्ञासा बढ़ी, वह बोला- "मैं 'तथास्तु' कहूँगा किन्तु मैं यह जानना चाहता हूँ कि  आखिर तुम धरती में ऐसा क्या देखना चाहते हो, जो तुम्हें अंतरिक्ष से ही दिखाई देगा?"
आदमी बोला- "मैं एक चरवाहा हूँ, जब मेरी बकरियां चरती-चरती इधर-उधर निकल जाती हैं तो उन्हें ढूंढने में मुझे बड़ी परेशानी होती है."
तोता तुरंत बोला- "ओह, यह आसान है, पर तुम इस अवसर को खो दोगे."
आदमी मायूसी से बोला- "लेकिन क्यों?"
तोते ने कहा- "अभी तुम नींद में हो, जागते ही तुम मेरी शक्ति का प्रताप खो दोगे, और अभी तो तुम्हारी बकरियां तुम्हारे बाड़े में ही बँधी हैं.क्या तुम अनंत काल तक सोना चाहोगे ?"
आदमी की नींद और तोता, दोनों उड़ चुके थे.             

2 comments:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...