एमरा यह सुनते ही पसीने में नहा गई कि बाबा को किन्ज़ान के माध्यम से दिखा 'प्राण' या 'आत्मा' उनके लिए पहले से परिचित है. बाबा के 'पन्ना-पन्ना' चिल्लाने का राज़ खुल जाने के बाद बाबा ने एमरा को बताया कि यह लगभग पिछले चार सौ साल से भटक रहा "प्राण" है, जो बीच में एक बार कुछ समय के लिए दुबारा मानव-योनि में जीवन पा जाने के बावजूद शांत नहीं हो सका, और पुनः भटकने के लिए विवश है.
बाबा बोला- मनुष्य अपने परिवार, अपनी जाति, अपने धर्म या समाज को लेकर जितना प्रमादी है, वह उतना ही दया का पात्र है. वह नहीं जानता कि वह जिसे अपनी सामूहिक पहचान समझता है, उसका जीवन-चक्र में क्या हश्र होता है. यह मनुष्य सोच भी नहीं पाता.मनुष्य के पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि वह अपनी उत्पत्ति के कारण और प्रक्रिया को समझ सके.फिर भी वह अपने परिदृश्य को अंतिम मान कर उसके लिए ताउम्र भ्रमित रहता है.
बाबा ने बताया कि वर्षों पहले एक स्त्री के रूप में जन्म पा कर यह प्राण एक शासन-महल में दासी अथवा सेविका के रूप में जी रहा था. पन्ना, इसका नाम था.
एक दिन एक राजनैतिक उथल-पुथल के कारण कोई आक्रान्ता शासक एक बच्चे का वध करने नंगी तलवार हाथ में लिए उस महल में चला आया, जहाँ यह स्त्री सेविका के रूप में तैनात थी. राज्य का भावी राजा, उम्र में बहुत छोटा होने के कारण इसी दासी की देख-रेख में था. पैशाचिक मनोवृत्ति के उस आक्रान्ता आतताई ने भावी राजा का वध करना चाहा. जिस तरह उस आदमी पर हैवानियत हावी थी, उसी तरह इस दासी की प्रत्युत्पन्न-मति ने इस के ह्रदय में राजा के प्रति स्वामी-भक्ति की भावना उगा दी. राज्य के प्रति अपने कर्तव्य की सकारात्मक ज्वाला में तप कर इस स्त्री ने ' न भूतो- न भविष्यति' निर्णय ले डाला . इसने एक बांस की टोकरी में राज-पुत्र को छिपा कर महल से किसी के संरक्षण में बाहर भेज दिया, और उसके स्थान पर अपने स्वयं के पुत्र को वहां लिटा दिया. फलस्वरूप क्रुद्ध सेना-खलनायक की तलवार की धार से वह अबोध, निर्दोष, अपनी ही सगी माँ से तिरस्कृत बालक बेमौत मारा गया.
घटना सुना कर बाबा बाकायदा इस तरह रोने लगा, जैसे यह अपराध और विडम्बना, खुद उसी के कारण घटित हुए हों. एमरा का चित्त भी ग़मगीन हो गया.
बस, इसके बाद से यह 'माँ' अब तक अपने आप को भी यह नहीं समझा पाई कि यह उसने क्या किया? दुनिया का सबसे शक्तिशाली और पवित्र रिश्ता इस दृष्टांत के गुंजलक में अब तक भटक रहा है. जब अपनी जान पर खेल कर कोई हरिणी अपने शावक को सिंह के पंजों से छुड़ाने का असंभव ख्वाब देखती है, तो यह दृष्टान्त उस सुनहरी- केसरिया, इमली के आकार वाली छोटी मछली की तरह मानवता के साफ पानी को धुआं छोड़ कर मटमैला बना देता है.जब कोई चिड़िया अपने अंडे बचाने के लिए ज़हरीले सांप से लोहा लेने की मुहिम पर निकलती है, तो यह दृष्टान्त उसके मनोबल को तोड़ने के लिए दुनिया में अँधेरा कर देता है...[जारी...]
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