...अगली सुबह जब भारतीय दंपत्ति उठ कर बाहर लॉन में आये तो यह देख कर दंग रह गए कि आमतौर पर देर तक सोने के आदी उनके दोनों बच्चे उनसे पहले से ही जाग गए हैं, और बगीचे में पानी देने में नाना की मदद कर रहे हैं. बच्चों की मम्मी में भी बच्चों को देख कर कर्तव्य भाव जग गया और उन्होंने भीतर जाकर रसोई की जिम्मेदारी संभाल ली. नाना भी भरे-पूरे परिवार के साथ रहने का अवसर पाकर अतिरिक्त रूप से उत्साहित थे.
दोपहर को भोजन से निवृत्त होने के बाद बच्चों के माता-पिता और नाना कमरे में बातों में इतने तल्लीन थे कि बच्चे कब बाहर जाकर एक डिपार्टमेंटल स्टोर से रंग-बिरंगी मोमबत्तियों के पैकेट्स खरीद लाये, ये उन्हें पता ही न चला.
इतनी मोमबत्तियां देख कर बच्चों की मम्मी ने उनकी ओर प्रश्न-वाचक नज़रों से देखा. बच्चे भी एक बार तो संकोच के कारण कुछ न बोल पाए, किन्तु पिता की ओर से दोबारा प्रश्न होने पर बेटी ने सर झुका कर धीरे से कहा- " हम शाम को रस्बी आंटी और किन्ज़ान भैया की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे."
माता-पिता दोनों एकसाथ अभिभूत हो गए. उन्होंने देखा नाना की मिंची आखें भी नम हो आईं.माता-पिता नाना के पास से उठ कर भीतर चले गए. नाना के अकेले होते ही दोनों बच्चों ने करीब आकर उन्हें घेर लिया.
-नाना, क्या किन्ज़ान भैया को भी पानी में बहते हुए कहीं रस्बी आंटी का शव दिखाई दिया? बेटे ने अपनी जिज्ञासा रखी. ऐसा लगता था कि बच्चे अब तक रात की कहानी से उबर नहीं पाए थे.
नाना ने इत्मीनान से एक गहरी सांस ली, और बोले- दरअसल किन्ज़ान झरना पार करके नीचे आ ही नहीं सका ?
-क्यों ? क्या हो गया था ? फिर नाव टूटी कैसे ? बच्चों के सवाल किसी बंद गठरी के खुलने से जैसे निकल-निकल कर गिरने लगे थे.
नाना ने किसी उड़ती चिड़िया की तरह कहानी का सूत्र फिर थाम लिया-"जैसे ही किन्ज़ान अपनी नौका में सवार होकर रवाना हुआ, वह बहुत खुश था. उसके साथ में न्यूयॉर्क से लाया गया ब्राज़ीलियन छोटा कुत्ता भी था, जिसके लिए बॉल के भीतरी अस्तर में खास बेल्ट से बंधी जेब भी बनाई गई थी.खुद किन्ज़ान के लिए भी नौका के भीतर सुरक्षित और मज़बूत ट्रांसपेरेंट सेफ्टी-कैप्सूल था. दोनों के मुंह के करीब जूस के पाउच इस तरह लगाये गए थे, कि ज़रा से प्रयास से जूस पिया जा सके. लेकिन..."
- लेकिन क्या नाना ? दोनों एकसाथ बोल पड़े.
-एयर-टाइट नौका में ऑक्सिजन भी पर्याप्त मात्रा में थी.पानी की दहाड़ें, भीतर भी सुनाई दे रहीं थीं. यद्यपि आवाज़ बाहर की तुलना में भीतर बहुत कम थी. बादलों की गड़गड़ाहट जैसी ध्वनि थी. तभी अचानक एक भयंकर ...[जारी ...]
दोपहर को भोजन से निवृत्त होने के बाद बच्चों के माता-पिता और नाना कमरे में बातों में इतने तल्लीन थे कि बच्चे कब बाहर जाकर एक डिपार्टमेंटल स्टोर से रंग-बिरंगी मोमबत्तियों के पैकेट्स खरीद लाये, ये उन्हें पता ही न चला.
इतनी मोमबत्तियां देख कर बच्चों की मम्मी ने उनकी ओर प्रश्न-वाचक नज़रों से देखा. बच्चे भी एक बार तो संकोच के कारण कुछ न बोल पाए, किन्तु पिता की ओर से दोबारा प्रश्न होने पर बेटी ने सर झुका कर धीरे से कहा- " हम शाम को रस्बी आंटी और किन्ज़ान भैया की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे."
माता-पिता दोनों एकसाथ अभिभूत हो गए. उन्होंने देखा नाना की मिंची आखें भी नम हो आईं.माता-पिता नाना के पास से उठ कर भीतर चले गए. नाना के अकेले होते ही दोनों बच्चों ने करीब आकर उन्हें घेर लिया.
-नाना, क्या किन्ज़ान भैया को भी पानी में बहते हुए कहीं रस्बी आंटी का शव दिखाई दिया? बेटे ने अपनी जिज्ञासा रखी. ऐसा लगता था कि बच्चे अब तक रात की कहानी से उबर नहीं पाए थे.
नाना ने इत्मीनान से एक गहरी सांस ली, और बोले- दरअसल किन्ज़ान झरना पार करके नीचे आ ही नहीं सका ?
-क्यों ? क्या हो गया था ? फिर नाव टूटी कैसे ? बच्चों के सवाल किसी बंद गठरी के खुलने से जैसे निकल-निकल कर गिरने लगे थे.
नाना ने किसी उड़ती चिड़िया की तरह कहानी का सूत्र फिर थाम लिया-"जैसे ही किन्ज़ान अपनी नौका में सवार होकर रवाना हुआ, वह बहुत खुश था. उसके साथ में न्यूयॉर्क से लाया गया ब्राज़ीलियन छोटा कुत्ता भी था, जिसके लिए बॉल के भीतरी अस्तर में खास बेल्ट से बंधी जेब भी बनाई गई थी.खुद किन्ज़ान के लिए भी नौका के भीतर सुरक्षित और मज़बूत ट्रांसपेरेंट सेफ्टी-कैप्सूल था. दोनों के मुंह के करीब जूस के पाउच इस तरह लगाये गए थे, कि ज़रा से प्रयास से जूस पिया जा सके. लेकिन..."
- लेकिन क्या नाना ? दोनों एकसाथ बोल पड़े.
-एयर-टाइट नौका में ऑक्सिजन भी पर्याप्त मात्रा में थी.पानी की दहाड़ें, भीतर भी सुनाई दे रहीं थीं. यद्यपि आवाज़ बाहर की तुलना में भीतर बहुत कम थी. बादलों की गड़गड़ाहट जैसी ध्वनि थी. तभी अचानक एक भयंकर ...[जारी ...]
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