डेला को जब नाईजीरिया की एक कम्पनी में नौकरी मिली तो पहले पेरिना थोड़ा झिझकी, लेकिन जब उसे पता चला कि काम यहीं न्यूजर्सी में करना होगा तो उसकी चिंता दूर हो गई. और मुश्किल से तीन महीने गुज़रे होंगे कि डेला ने उन्हें दूसरी राहत दी.वह वहीँ अपने सहकर्मी वुडन रोज़ से शादी करके एक दिन उसे अपने साथ ले आई. किन्ज़ान और पेरिना के लिए वह एक यादगार दिन था. उस दिन के आलम ने भी उनकी जिंदगी की जिल्द पर सुनहरी इबारत लिखी. वक्त की कलम से घटनाओं के हर्फ़ लिखते चले जाने का नाम ही तो जिंदगी है...
लेकिन किन्ज़ान और पेरिना के जीवन -पात्र में फूलों का अर्क उस दिन भर गया, जब डेला ने दो जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया. समय कितनी जल्दी बीतता है, इसका अंदाज़ पेरिना को उस दिन हुआ, जब दोनों बच्चियों को लेकर वुडन और डेला एक दिन सचमुच नाईजीरिया चले गए.
किन्ज़ान को जब भी अपने काम से फुर्सत मिलती वह और पेरिना बच्चों के पास नाईजीरिया जाने का प्लान बनाने लगते. लेकिन किन्ज़ान की फुर्सत जैसे मिलती, वैसे ही फुर्र भी हो जाती. वे कभी बच्चों के पास जा ही नहीं पाते.अलबत्ता बच्चे ज़रूर एक-दो बार उनके पास आकर रह गए.
ये प्लान बनाने और पूरा न कर पाने का सिलसिला तब जाकर टूटा, जब एक दिन डेला वहां आई, और बच्चों को बफलो में पेरिना और किन्ज़ान के पास ही छोड़ गई. वुडन और डेला दोनों को ही अपने काम के सिलसिले में घूमना पड़ता था. बल्कि कुछ दिन बाद तो वे दोनों चाइना ही चले गए. पूरी तरह चाइना में शिफ्ट होने से पहले डेला किन्ज़ान से वादा लेकर गई कि वे लोग कुछ दिन के लिए चाइना ज़रूर आयेंगे.
इधर एकदिन एक करिश्मा हुआ. डेला जब बच्चों और माता-पिता से मिलने बफलो आई, तो उसने अपने सूटकेस से एक कीमती तोहफे की तरह निकाल कर एक छोटी सी पुरानी डायरी पेरिना को दी. पेरिना ने उसे उलट-पलट कर देखा और फिर डेला की ओर जिज्ञासा से देखने लगी. डेला से उस डायरी का राज़ सुन कर वह ख़ुशी से उछल पड़ी. उसके हाथ से कपड़ों के वे पैकेट्स भी छूट गए, जो डेला ने उसे और अपनी बेटियों को उपहार में लाकर दिए थे.
पेरिना उस डायरी को इस तरह सीने से लगा कर एकांत में भागी, जैसे नव-विवाहिताएं अपने पीहर में पति का पहला पत्र आने के बाद उसे लेकर भागती हैं. इस तरह कि किसी को न दिखे, कि पत्र में क्या लिखा है, और सबको दिख जाये कि पत्र आया है.
डेला ने बताया कि काम के सिलसिले में वह जब चाइना गई, तो वहां उसने एक छोटे से क़स्बे में एक अजीबो-गरीब सेल देखी.इस सेल में एक पुराने से मकान में ढेर सारा पुराना सामान रख कर एक बूढ़ा अपने दो-तीन साथियों के साथ बैठा था. वे लोग किसी म्यूजियम से तरह-तरह का सामान इकठ्ठा करके लाये थे, और उसे बेच रहे थे. सामान में एक आश्रम, और उसके स्वामी के चित्र भी थे. साथ ही इसे विश्व-प्रसिद्द आश्रम का सामान बता कर बेचा जा रहा था. डेला को वह डायरी भी उसी सामान को उलटते-पलटते मिली...[जारी...]
No comments:
Post a Comment