Sunday, August 19, 2012

स्वाद और संबंधों का खाता [ अंतिम भाग]

अब अपनी सूची के उन मित्रों की बात करें, जिनके नाम के सामने आपने किसी न किसी खाद्य वस्तु का नाम लिखा है। खाने की जो वस्तुएं आपने चुनी हैं, उनकी कीमत तो आपको मालूम होगी ही। उनका स्वाद कैसा है, यह आपकी अपनी निजी पसंद से तय होगा। जो चीज़ आपको स्वादिष्ट लगती है, उसका दर्ज़ा अच्छा ही मानिये, चाहे औरों को वह कैसी भी लगती हो।
     सबसे पहले उस मित्र के नाम पर नज़र डालिए, जिसके खाते में आपने सबसे महँगी वस्तु लिख दी है। सतर्क रहिये, उसकी और आपकी दोस्ती पक्की नहीं है, यह दोस्ती कभी भी टूट सकती है। इस से ज्यादा उम्मीद भी मत रखिये।
     जिस मित्र के नाम के आगे आपकी सबसे स्वादिष्ट वस्तु दर्ज है, उस मित्र से अकेले में मिलने से बचिए। उस से जब भी मिलें, सब से साथ मिलिए। कोशिश कीजिये कि  आप चाहे अकेले हों, वह अपने अन्य मित्रों के साथ हो। डरिये मत, ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं है, यह केवल दोस्ती पक्की होने का नुस्खा है।
     यदि आपने उगने वाली चीज़, जैसे फल या सब्जी किसी मित्र के नाम के आगे लिख दी है, उस मित्र के प्रति ज्यादा संवेदन-शील रहिये, उसे आपकी मदद की ज़रुरत है। शहद या दही अगर आपने लिखा है, तो उस मित्र के लिए दुआ कीजिये, शायद उसकी तबियत खराब होने वाली है।
     चाकलेट या ड्राई-फ्रूट आपने लिखा ही नहीं होगा,यदि लिख दिया है तो यह दोस्ती ऐसी है, जिसके लिए आपको कुछ नहीं करना, जो भी करेगा, सामने वाला ही करेगा।
     अब देखिये, ऐसा ही है न ?
     यदि ऐसा नहीं हो रहा और सब कुछ उल्टा-पुल्टा जा रहा है, तो एक बार चैक कीजिये, कहीं गलती से आपने मित्रों की सूची में मेरा नाम तो नहीं डाल दिया ?

5 comments:


  1. कल 09/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. kuch alag sa hai.....par bahut intresting

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