Thursday, August 16, 2012

केवल हँसना पर्याप्त नहीं है

अक्सर यह कहा जाता है कि  सभी को दिन में दो-तीन बार खुल कर हँसना अवश्य चाहिए। हंसने से पेशियों का व्यायाम होता है। इसी कारण शहरों में तो इंस्टेंट लाभ के लिए ढेरों लाफ्टर-क्लब काम कर रहे हैं। टीवी पर कई चैनल ऐसे कार्यक्रम लगातार दे रहे हैं, जिनमें बेबात के हँसते लोग दिखाए जाते हैं। किसी-किसी कार्यक्रम में तो खिजाने की हद तक आप बड़े-बड़े फ़िल्मी सितारों को खिलखिलाते देख सकते हैं, बशर्ते आप देख पायें। हँसना अच्छी बात है। जिंदगी में हंसी के पल बने रहें, यह कौन नहीं चाहता?
   लेकिन इस हंसने-हंसाने का एक पहलू और है। हंसी आपके लिए व्यायाम तभी है जब यह आपको आनंदित करते हुए किसी कारण से हो। यदि हम बेमकसद-बेमतलब हँसते हैं तो यह नकली हंसी हमें कोई लाभ नहीं पहुंचाती। लेकिन इस मामले में हम लोग खुशनसीब हैं, कि  हमारे यहाँ बड़े-बड़े पदों पर "कार्टून-जेनिक" लोग स्थापित हैं और रोज़ के अखबार में हमें हंसने की पर्याप्त वज़ह मिल ही जाती है।
   हाँ,आज हंसी आसानी से नहीं आ पाएगी क्योंकि स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी होने से अखबार आये नहीं हैं।
     

No comments:

Post a Comment

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...