Thursday, December 1, 2011

क्या सचमुच हम वसुधा को एक कुटुंब ही मानते हैं?

हम इन ख़बरों पर खुश होकर गर्व से भर जाते हैं कि किसी भारतवंशी को अमेरिका की सरकार में सम्मानपूर्ण जगह मिली, हमारे देश के लाखों युवा अच्छी पढ़ाई और ऊंची नौकरियों के लिए विदेशों में जाकर सफल हुए. यह बात तो हमारी आत्मा तक को गदगद कर देती है कि बाहर का पैसा प्रचुर मात्रा  में यहाँ आकर हमारा जीवन-स्तर सुधार रहा है.इस तथ्य को लेकर तो हम ग्लोबलाईज़ेशन को अपनाने की ओर तेज़ी से बढ़ने लगे हैं. यह सब वास्तव में ख़ुशी और संतोष की ही बात है.
फिर अचानक क्या हुआ? आज हम किस बात पर "भारत-बंद" पर आमादा हो गए? यदि खुदरा व्यापार में विदेशी धन आया तो हम बर्बाद कैसे हो जायेंगे?
जब विदेशी पर्यटक आते हैं, तो हमें ज़बरदस्त आय देकर जाते हैं, बल्कि तरह-तरह से हम उन्हें लुभाते हैं.
जब विदेशी ज्ञान आता है तो हम मानसिक रूप से और सशक्त हो जाते हैं, बल्कि हम विदेशी ज्ञान की तलाश में दूर-दूर जाते हैं.
जब विदेशी बैंक आते हैं तो हम मालामाल हो जाते हैं, बल्कि हमारे अपने बैंकों की दशा भी स्पर्धा से सुधर जाती है.
जब विदेशी कपड़े आते हैं तो हमारी युवा पीढ़ी उन्हें दिल से गले लगाती है, बल्कि पुरानी पीढ़ी भी 'मॉडर्न' होने का सपना देखने लगती है.
जब विदेशी मशीनें आती हैं तो हमारी क्षमता और गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है, बल्कि हम उनकी बनावट की नक़ल करके अपना उत्पादन बढ़ाने  लग जाते हैं.
जब विदेशी तकनीक आती है तो हमारा कायाकल्प हो जाता है, बल्कि उसके सहारे हम अपना पिछड़ा-पन मिटाने की राह पा जाते हैं.
जब विदेशी माल आती है तो हम उसमें शॉपिंग करने का लुत्फ़ उठाते हैं, बल्कि खरीदारी का वैश्विक तरीका सीख जाते हैं.
फिर केवल खुदरा व्यापार में विदेशी धन आने से हमारा क्या बुरा हो जायेगा?
कहीं ऐसा तो नहीं, कि हम अपने सौदागरी के  बरसों पुराने, काइयां  और सड़े-गले तौर-तरीके अपनाने वाले दकियानूसी 'श्रेष्ठि' वर्ग के पक्ष में खड़े होने को फुसलाये जा रहे हों?    

3 comments:

  1. सार्थक, सटीक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.

    मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊँगा.

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  2. जब कथन के पीछे सिद्धांत का सहारा नहीं होता तो शब्द खोखले ही रहते हैं।

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  3. aaj ke daur men siddhant bhi indradanush jaise hote hain, kai rangon se saje. jiwan keemtee hai, akhir ise kisi ek siddhant ki bhent kaise chadhaya ja sakta hai? dhanywad. vaise aapki tippani badi sateek hai, yah bharat-band ka samarthan bhi kar rahi hai. dhanywad shuklaji ka bhi.

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