Saturday, December 3, 2011

इस नाव में मत बैठिएगा कभी भूल कर भी

'पल' कहिये या 'क्षण', यह बड़ी बेकार चीज़ है. ये आपके कोई काम नहीं आती.'लम्हा' दिखने में तो छोटा सा ही है, पर है बड़ा काइयां, बर्बाद कर देता है. ये आपको एक पल में वर्तमान से काट देता है. क्षण भर में सब विगत बन जाता है. अभी-अभी आप कुछ गुनगुना रहे थे, कि लीजिये, पलक झपकते ही आपका गीत अतीत बन गया. ये सब इसी पल की बदौलत तो हुआ.
और अचरज की बात तो ये है कि यह आपको कहीं नहीं पहुंचाता.आपको वर्तमान से काट भी लाया, और आप 'भविष्य' में भी नहीं पहुंचे. कभी आपका कोई पल भविष्य का भी हुआ है? नहीं न? तो फिर आखिर किस काम का हुआ ये पल, क्षण या लम्हा?
आप वर्तमान को पीछे छोड़ आये, और भविष्य में भी नहीं पहुंचे. तो बताइए आप कहाँ हैं?
बिलकुल ठीक. "संसद" में. 

2 comments:

  1. पल में (जीवन के) कितने पल गये।
    पल में कितने (नेता मुफ़्त में) पल गये।

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  2. बहुत बढ़िया ...

    आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 04 -12 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज .जोर का झटका धीरे से लगा

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