पिछले कई साल से अमिताभ बच्चन ने आसमान पर जैसे ढक्कन ही लगा दिया है. अब आसानी से कोई नया महानायक चमकने के लिए आकाश में जा ही नहीं सकता. जो थोड़ी बहुत संभावनाएं बची दिखाई देती हैं उनपर शाहरुख़ खान,आमिर खान, सलमान खान और ऋतिक रोशन का कब्ज़ा है. ऐसे में ऋषि कपूर और संजय दत्त करें भी तो क्या करें? वे राज कपूर और सुनील दत्त के बेटे हैं, इसलिए फ़िल्मी कैरियर पर फुल स्टॉप लगाना उन्हें आता ही नहीं.
बरसों पहले फ़िल्मी खलनायकों की ज़मात से विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा निकल कर जो नायक बने तो ऐसे बने कि दोनों ने फिर मुड़ कर नहीं देखा.ऐसा लगता है कि सालों बाद खलनायकों की टीम ने नायकों की जमात से अपने हीरे वापस छीन लिए. संजय दत्त और ऋषि कपूर ने 'अग्निपथ' में जो कारनामे किये हैं, उन्हें देख कर लगता है कि खलनायक की भूमिका के लिए अब निर्माताओं की पहली पसंद यही दोनों होंगे. संजय दत्त तो खैर कई फिल्मों और निजी जिंदगी में नकारात्मक भूमिकाएं करने के बावजूद हीरो बने हुए हैं, पर ऋषि कपूर ने अब अपने को खलनायक सिद्ध कर ही लिया.
वैसे भी अम्बरीश पुरी और अमज़द खान की विरासत ख़ाली ही जा रही थी.रणबीर कपूर के लिए भी यह खबर ज्यादा बुरी नहीं है, क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें वैसे भी समा नहीं पा रही थीं. रणबीर के आने के बाद से ऋषि जब-तब सुनहरे परदे के लिए छटपटा ही रहे थे. संजय दत्त को अग्निपथ में देख कर ऐसा लगा मानो शोले के गब्बर की भूमिका खलनायकों के लिए आखिरी ही नहीं थी. सुनील दत्त ने संजय को ड्रग एडिक्ट हो जाने या आतंकवादियों का सहयोग कर देने के लिए चाहे कुछ न कहा हो,काँचा की भूमिका के लिए एक तमाचा ज़रूर मारते, यदि वे आज जीवित होते.
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