आज रविवार है. मेरा मन आज बच्चों और परिवार से बात करने का है- पढ़िये ये कविता
बिल्ली दूध पी गयी सारा
दादी ने माँ को फटकारा
बर्तन वाली देर से आई
लेट हुआ मुन्ना बेचारा
चाय मिली पापा को ठंडी
दादी ने माँ को फटकारा.
चादर-पर्दा धोया गन्दा
अबके धोबी ने दोबारा
पैसे थोड़े ज्यादा मांगे
दादी ने माँ को फटकारा.
फेंक गया पेपर पानी में
जल्दी में था वो बेचारा
पापाजी अब कैसे पढ़ते
दादी ने माँ को फटकारा.
कल दफ्तरमें काम बहुत था
छुट्टी पर स्टाफ था सारा
दीदी शाम देर से लौटी
दादी ने माँ को फटकारा.
नया सीरियल शुरू हुआ था
टीवी पर - "बुढ़िया सठियाई"
सारा काम छोड़ कर मम्मी
उसे देखने दौड़ी आई
'बहू, बंद कर दो टीवी को'
नहीं खोलना अब दोबारा
देखो बच्चे बिगड़ रहे हैं
दादी ने माँ को फटकारा.
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
ReplyDeleteएस .एन. शुक्ल
mitrata diwas aap jaise mitron ki kalam se aisehi milwata rahe. dhanywad.
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