राजमहल के बगीचे में सुबह-सुबह जब राजकन्या सैर को निकली तो यह देख कर उसकी चीख निकल गई कि उसकी प्रिय लाल पंखों वाली सुनहरी चिड़िया घास में मूर्छित पड़ी है. उसने दौड़ कर उसे उठा लिया. चिड़िया को किसी शिकारी का तीर लगा था.
राजाज्ञा से शिकारी को गिरफ्तार करके ले आया गया. राजा ने जब उससे इतने सुन्दर पक्षी पर तीर चलाने का कारण पूछा तो शिकारी बोला- इसके लिए आपके मंत्रीजी ज़िम्मेदार हैं. मंत्रीजी पर जैसे बिजली गिरी. वह सकपका कर खड़े हो गए. बोले-मैं कैसे ज़िम्मेदार हो सकता हूँ?सब हैरान थे.
शिकारी ने कहा- कल यही मुझसे कह रहे थे कि मनुष्य को चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद दोबारा मानव-जीवन मिलता है. इस पक्षी को देख कर मेरे मन में आया कि इतना सुन्दर पक्षी जल्दी मानव बने और मैंने इसका ये जन्म जल्दी ख़त्म करने के लिए इसे निशाना बनाया.
राजा असमंजस में पड़ गया.मंत्रीजी भी समझ नहीं पा रहे थे कि उनकी साधारण सी बात का इतना असर होगा. शिकारी सचमुच निर्दोष था.
राजा न्याय-प्रिय था. बोला- ठीक है, मंत्रीजी को ही इसकी सजा मिलेगी. उन्हें कल शाम तक बताना होगा कि इस पक्षी की कितनी योनियाँ बीत चुकी हैं और कितनी बाकी हैं, जिनके बाद यह 'मानव' बनेगा. यदि वे सही गणना करके बता पाए तो उन्हें क्षमा कर दिया जायेगा. अन्यथा कड़ी सजा दी जाएगी. मंत्रीजी को काटो तो खून नहीं. बैठे-बैठे ये किस मुसीबत में फंस गए?
मंत्रीजी मुंह लटका कर घर आये और सर पकड़ कर लेट गए. पत्नी ने कारण पूछा तो एक सांस में सारी घटना सुना डाली.पत्नी विदुषी थी, सब समझ गई. पति से बोली- आप घबराइये नहीं, कल राजा से कहिये कि आपने पक्षी के पिछले जन्म गिन लिए हैं, वे जितने होंगे, उतने ही फूल कल रात को आसमान से राजमहल की छत पर बरसेंगे, बस, राजा उन्हें गिनवालें. हाँ, इसके लिए राजा को एक शर्त माननी होगी. राजा को रात को महल की छत पर खड़े होकर तारों को छूने की कोशिश करनी होगी.
मंत्रीजी को पत्नी की बुद्धिमत्ता पर पूरा विश्वास था. वे समाधान पाकर आराम से सो गए. उधर अगली सुबह मंत्रीजी की पत्नी ने शहर-भर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि आज रात को राजाजी महल की छत पर ख़ुशी से नाचेंगे, जो भी उनकी ख़ुशी में शामिल होना चाहे वह रात को महल की छत पर फूल फेंके.
बस फिर क्या था. अगली रात के आते ही राजाजी छत पर खड़े होकर उछल-उछल कर आसमान में हाथ लहराने लगे. चारों ओर से उमड़ी प्रजा ने राजा को खुश देख कर पुष्प-वर्षा की. महल पर इतने फूल गिरे, इतने फूल गिरे...
शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि राजा चाहे तो अपने मंत्रियों से कुछ भी गिनवा सकता है, विदेशों में जमा काला-धन भी.
thanks.
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