इस बात का कोई पुख्ता सबूत कहीं नहीं मिलता कि आदम ने हव्वा के हिस्से की रोटी कब खाली.इस बात के पुख्ता सबूत कई देशों में देखे जा सकते हैं, कि हव्वा की थाली खाली है और आदम का पेट फूला हुआ है.इतना ही नहीं, सबूत इस बात के भी मौजूद हैं कि हव्वा के चेहरे और आँखों पर पर्दा डाला गया है, ताकि वह इस भेदभाव को देख न सके.
अपनी बात के समर्थन में आज हम एक निहायत ही पोची और मामूली मिसाल देंगे. इतनी मामूली, कि शायद इस से कहीं कुछ भी सिद्ध न हो. पर यह ज़रूर सिद्ध होगा कि आदम सिद्ध निकला, और हव्वा बेचारी साध्वी.
मुझे लग रहा है कि कुछ भी सिद्ध करने से पहले कम से कम यह भली-भांति तय कर लेना चाहिए कि आखिर कहा क्या जा रहा है?
मैं इस वक्त केवल यह कह रहा हूँ कि कुछ मुल्कों में नारी, महिला या स्त्री को अभिव्यक्त होने से रोकने की कोशिशें लगातार हुई हैं.इस बात का खतरनाक पहलू यह है कि ऐसी कोशिशें अतीत का हिस्सा नहीं बन गईं, बल्कि अब भी बदस्तूर जारी हैं.
दक्षिणी अमेरिका के वेनेज़ुएला ने पिछले सौ वर्षों में आयोजित विश्व-स्तरीय सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में कितनी बार जीत या कामयाबी दर्ज की है, यह जानने की कोशिश करके देखिये. यदि आप किसी भी स्रोत से ऐसे आंकड़े खोज पाने में सफल हो जायेंगे तो आप कम से कम वेनेज़ुएला को उन देशों की फेहरिस्त से निकाल देंगे जिनमे हव्वा के हिस्से की रोटी आदम खा गया.
बिलकुल सही कहा है आप ने अब वो अपने आँखों की पट्टी उतारना भी चाहती है तो उसे उतारने नहीं दिया जा रहा है डर है की वो सारी सच्चाई अपने साथ हो रहे छल को देख जो लेगी |
ReplyDeletemujhe yah bahut achchha lagaa ki aapko n sirf is baat ka ahsaas hai ki aisa ho raha hai, balki is baat ki bhi anubhooti hai ki aisa kyon ho raha hai. yahi to chahiye. aawazen uthti rahen to barf jami nahin rah sakti, use ek din pighalna hoga. aapko bahut dhanywad.
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